निजी क्षेत्र के प्रमुख ऋणदाता ऐक्सिस बैंक के पूर्व चेयरमैन एवं मुख्य कार्याधिकारी पी. जे. नायक ने कहा है कि किसी भी कंपनी के प्रबंधन को बाहरी व्यक्ति की नियुक्ति पर सिर्फ तभी विचार करना चाहिए जब संगठन कमजोर हो।
बैंक के बोर्ड के साथ मतभेदों को लेकर इस्तीफा दिए जाने के एक दिन बाद नायक ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा, ‘अगर कंपनी मजबूत हो तो उसे अंदर के ही व्यक्ति को तवाो देनी चाहिए।’
हालांकि नायक ने यह स्पष्ट किया है कि उनका बयान स्वाभाविक रूप से दिया गया सामान्य बयान है और बैंक के बोर्ड में कल हुए घटनाक्रम से इसका कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सब कुछ स्थिति और व्यक्ति पर निर्भर करता है। बाहरी व्यक्ति भी अच्छा कर सकते हैं। जब मैंने इसमें ज्वाइन किया था तो मैं स्वयं भी ऐक्सिस बैंक में एक बाहरी था।’
ऐक्सिस बैंक के बोर्ड ने सोमवार को बोर्ड सदस्यों के मतदान के बाद अगली प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी के रूप में शिखा शर्मा को नामित किया है। इसमें 8 सदस्यों ने शिखा शर्मा का समर्थन किया और नायक इसका विरोध करने वाले एकमात्र व्यक्ति थे।
नायक ने कहा है कि उन्हें बोर्ड से कोई समस्या नहीं है और सदस्यों ने उनका भरपूर मदद की है। उन्होंने कहा, ‘इस फैसले को लेकर मतभेद यह था कि आप कैसे सीईओ का चयन कर सकते हैं और मैं अंदर से ही (बैंक से) उत्तराधिकारी का चयन चाहता था।’
किसी भी मामले में ऐसे मतभेदों का बैंक के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं पड़ा। पिछली 37 तिमाहियों में से 35 में बैंक के मुनाफे में इजाफा दर्ज किया गया। पिछली सात तिमाहियों में तो बैंक के मुनाफे में 60 फीसदी से भी अधिक का इजाफा हुआ।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अपने उत्तराधिकारी के लिए कोई संदेश देना चाहेंगे तो नायक ने कहा कि ऐक्सिस एक दिग्गज बैंक है और शिखा शर्मा के लिए ऐसे बैंकों के साथ काम करना बेहद सुखद रहेगा। अगली कार्य योजना के बारे में बताते हुए पूर्व चेयरमैन ने कहा कि वे मुंबई में ठहरना चाहेंगे और अगले कुछ सप्ताहों में ऐक्सिस बैंक से पूरी तरह मुक्त होने के बाद अगले कदम की योजना बनाएंगे।
नायक से जब पूछा गया कि आपने सीएमडी के पद के विभाजन का विरोध क्यों किया था, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा नहीं किया था। यह फैसला पहले ही लिया जा चुका था कि इस पद का विभाजन किया जाएगा और इसके लिए शेयरधारकों का प्रस्ताव भी पास हो गया था। उन्होंने इसका खंडन कर दिया कि वे उत्तराधिकारी को पद सौंपे जाने के खिलाफ थे।
उन्होंने कहा, ‘कुछ लोग सोचते हैं कि व्यक्ति को कार्य से अच्छी तरह वाकिफ होने के लिए एक विभाग से दूसरे विभाग में जाने का सिलसिला बनाए रखना चाहिए, लेकिन ऐसा करने से खास फायदा नहीं होता है। हमारे पास रिटेल और कॉरपोरेट बैंकिंग के लिए अच्छे प्रमुख हैं। मुझ पर भी इनफ्लेक्सिबल यानी बड़ा बदलाव लाने में अयोग्य होने का आरोप लगाया गया था। लेकिन मैंने सहायक नजरिया अपनाया। अगर मॉडल काम करता है तो नेतृत्व अच्छी तरह काम करता है।’
बैंक के साथ बिताए 9 वर्षों के बारे में बताते हुए नायक ने कहा कि 0.35 फीसदी के शुद्ध एनपीए के साथ ऐक्सिस की ऐसेट क्वालिटी इस उद्योग में श्रेष्ठ है। बैंक में उनका कार्यकाल तीन महीने बाद पूरा होने वाला था। उन्होंने कहा कि बैंक ने हमेशा ही जोखिम विविधीकरण और अच्छी रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया।
उन्होंने कहा, ‘हमने हरेक स्तर पर जोखिम को बेहद गंभीरता के साथ दूर किया। सभी फैसले विभिन्न लोगों से हमें प्राप्त हुए फीडबैक पर आधारित समिति द्वारा लिए गए जिसका परिणाम विभिन्न मूल्यांकनों में स्पष्ट दिखा और एक बेहद अच्छी एवं दमदार बैलेंस शीट तैयार करने में मदद मिली।’
बैंक को अपना सीएएसए (करंट अकाउंट सेविंग अकाउंट) आधार मजबूत बनाने में भी सफलता मिली। वर्ष 2000 में जब हर कोई खुदरा उधारी पर ध्यान दे रहा था, ऐक्सिस ने खुदरा जमा बढ़ाए जाने पर ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि इसने महसूस किया था कि उतना फंड नहीं है जितना रिटेल लैंडिंग यानी खुदरा उधारी के लिए जरूरी हो।
बैंक का सीएएसए अब 40 फीसदी है जो 2000 में महज 5 फीसदी था। नायक ने कहा कि वित्तीय बाजारों को स्थिर बने रहने की जरूरत है, क्योंकि बैंकों को अस्थिरता के कारण बुरे वक्त का सामना करना पड़ा है। हालांकि आरबीआई ने अस्थिरता को दूर करने में काफी हद तक मदद की है, लेकिन अभी भी वित्तीय बाजार में अस्थिरता की चुनौती कायम है।
