भारतीय रिजर्व बैंक ऐसे दिशानिर्देश तैयार करने में जुटा है जिसकेतहत सरकारी बैंकों को प्राइवेट इक्विटी के करोबार में उतरने की छूट होगी।
यह इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि इससे पहले आरबीआई ने सरकारी बैंकों के प्राइवेट इक्विटी के कारोबार में भाग लेने पर गंभीर आपत्ति जताई थी।
इस पूरी घटना पर नजर रख रहे सूत्रों का क हना है कि सरकारी बैंकों के प्राइवेट इक्विटी में भागीदारी को लेकर दिशानिर्देश लगभग तैयार है और मौजूदा वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक नए दिशानिर्देशों की घोषणा किए जाने की संभावना है। हालांकि इस बाबत जब आरबीआई को मेल भेजा गया तो बैंकिंग नियामक की तरफ से इस बारे में कोई जवाब नहीं आया।
गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में देश के सबसे बड़े कर्जदाता बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने मुंबई स्थित पीई कंपनी सेग कैपिटल फंड्स मैंनेजमेंट में 19.75 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा की थी लेकिन आरबीआई की इस पर औपचारिक सहमति नहीं मिलने के कारण इस सौदे पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है।
इसकेअलावा एसबीआई यूनिटेक इन्वेस्टर्स और साउथ इंडियन रियल एस्टेट में भी हिस्सेदारी खरीदने पर विचार कर रहा था। आरबीआई की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ, जो एसबीआई के निदेशक मंडल में केंद्रीय प्रतिनिधि के रूप में भी शामिल हैं, ने एसबीआई के पीई कारोबार में उतरने पर सवाल खड़े कर दिए थे।
मौजूदा नियम के अनुसार बैंक अपनी कुल परिसंपत्ति का केवल 20 फीसदी हिस्सा ही प्रत्यक्ष तौर पर निवेश कर सकते हैं जबकि अप्रत्यक्ष तौर पूंजी बाजार में कुल परिसंपत्ति का 20 फीसदी हिस्सा ही निवेश कर सकते हैं।
अगर इन दोनों प्रावधानों को इकट्ठे देखा जाए तो बैंकों को पूंजी बाजार में अपनी कुल परिसंपत्ति का 40 फीसदी तक ही निवेश करने की अनुमति है। इधर सरकारी बैंकों में प्राइवेट इक्विटी कारोबार में उतरने की दिलचस्पी जगी है।
इसी क्षेत्र के अन्य एक अन्य बैंक आईडीबीआई बैंक ने पिछले साल आरबीआई से पीई कारोबार में उतरने की अनुमति मांगी थी। जहां तक निजी क्षेत्र के बैंकों की बात है, आईसीआईसीआई और एक्सिस बैंक के नियंत्रण में पहले से ही इक्विटी फर्म हैं जबकि यस बैंक इस साल दो तिहाई पूंजी निवेश करने की योजना बना रहा है।
सरकारी क्षेत्र का ही केनरा बैंक पीई कारोबार में काफी आगे रहा है और इसने करीब 80 से ज्यादा कंपनियों में निवेश किया है।