भारत और रूस अब अपने बैंकिंग रिश्तों को एक नई मजबूती देने की कवायद में लगते प्रतीत हो रहे हैं। भारत रूस के छोटे क्षेत्रीय बैंकों के साथ वित्तीय साझेदारी करने पर राजी हो गया है।
इस बारे में इंडियन बैंक एसोसिएशन यानी आईबीए के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दोनों देशों के बीच मुख्य समस्या छोटे बैंकों को लेकर है,क्योंकि रूस के बड़े बैंकों के बारे में तो सूचनाएं भारतीय बैंकों को मिल जाती है लेकिन छोटे बैंकों के बारे में अगर कोई राय बनानी हो तो फिर सूचनाओं के अभाव के कारण मुश्किलें होती हैं।
इसके अलावा दोनों देशों में दोनों के बैंकों की संख्या भी सीमित ही है। मसलन भारत में रूस के बैंक वीटीबी की मुंबई में एकमात्र शाखा है। लिहाजा यह चाहता है कि अन्य शहरों में भी इस बैंक का कारोबार फैले। इसके अलावा एक दूसरे रूसी बैंक स्बर ने भी भारत में अपने कॉरपोरेट क्लाइंट्स को सेवा प्रदान करने के में दिलचस्पी दिखाई है। नतीजतन भारत और रूस के बीच पिछले कई वर्षों से वित्तीय रिश्तों में जारी गतिरोध को कम करने के लिहाज से जुलाई के पहले हफ्ते में भारत की ओर से आईबीए ने भारतीय बैंकरों का एक प्रतिनिधि मंडल मास्को भेजा था।
वहां इस शिष्टमंडल ने सेंट्रल बैंक ऑफ रशियन फेडरेशन, रशियन बैंकों, सेल्फ रेग्युलेटरी आर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक और असोसिएशन ऑफ रीजनल बैंक के साथ इस मसले पर बातचीत की। इस बारे में आईबीए के एक अधिकारी जो शिष्टमंडल की टीम में थे ने बताया कि भारतीय बैंक रूसी बैंकों की गारंटी स्वीकार नही कर रहे हैं क्योंकि वहां की ज्यादातर कंपनियों के क्रेडिट संबंधी भरोसे का सवाल इस में आता है क्योंकि ज्यादातर कंपनियों की स्थापना 90 के दशक में हुई थी।