चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर की अवधि में बैंकों के मुनाफे में 20 फीसदी से अधिक की वृद्धि दर्ज की जा सकती है। विश्लेषकों ने यह अनुमान जाहिर किया है। उनका कहना है कि स्लिपेज एवं प्रावधान मद से दबाव के बावजूद संग्रह और उधारी में सुधार होने से बैंकों के मुनाफे को बल मिलेगा। विश्लेषकों के आकलन के आधार पर ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 ऋणदाताओं- 5 सार्वजनिक क्षेत्र के और 14 निजी क्षेत्र के- का मुनाफा दूसरी तिमाही में 21.7 फीसदी बढ़कर 32,075 करोड़ रुपये हो जाएगा।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल ने अपने कवरेज के तहत बैंकों के लिए कर पश्चात मुनाफे में 20 फीसदी वृद्धि होने का अनुमान जाहिर किया है। धीरे-धीरे हो रहे आर्थिक सुधार को ध्यान में रखते हुए बैंकों की उधारी की रफ्तार बढ़ रही है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, बैंकिंग प्रणाली में उधारी सितंबर की दूसरी छमाही में सालाना आधार पर 6.7 फीसदी बढ़ गई जबकि मार्च में यह आंकड़ा 5.6 फीसदी रहा था।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने अपनी पूर्व समीक्षा में कहा है कि समीक्षाधीन तिमाही के दौरान कारोबारी गतिविधियों में सुधार होने के साथ ही वितरण एवं संग्रह में तेजी दिखेगी। वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के दौरान ऋण पोर्टफोलियो में धीरे-धीरे सुधार दिखेगा। हालांकि कारोबार को रफ्तार देने के लिए उधारी दर में कमी किए जाने से ब्याज आय में सीमित वृद्धि दिखेगी लेकिन बैंकों को जमा दरों में कटौती के कारण लागत घटने का लाभ मिलता रहेगा।
केयर रेटिंग्स के सहायक निदेशक एवं प्रमुख (बीएफएसआई अनुसंधान) सौरभ भालेराव ने कहा कि शुद्ध ब्याज मार्जिन में गिरावट के दबाव के साथ स्थिरता बरकरार रहने के आसार हैं क्योंकि बैंक अच्छे नकदी प्रवाह और चालू खाता बचत खाता पर ध्यान केंद्रित करते हुए जमा दरों में कटौती कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2022 की दूसरी तिमाही के लिए गैर-ब्याज आय में भी कुछ सुधार होने के आसार हैं। एक बड़े कॉरपोरेट खाते के समाधान के साथ-साथ क्रेडिट कार्ड सहित शुल्क आधारित उत्पादों पर जोर दिए जाने से गैर-ब्याज आय को बल मिलेगा।
भालेराव ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के दौरान ऋण अदायगी के लिए मोहलत न दिए जाने से बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) और पुनर्गठित परिसंपत्तियों में इजाफा हो सकता है। एकमुश्त पुनर्गठन (ओटीआर) 2.0 के तहत लेनदार सितंबर 2022 तक ऋण पुनर्गठन कर सकते हैं। विशेष ऋण पूल के कारण परिसंपत्ति पर दबाव की आशंका के बारे में बताते हुए मोतीलाल ओसवाल ने अपने आकलन में कहा कि स्लिपेज में तेजी बरकरार रहेगी जिसमें खुदरा और लघु एवं मझोले उद्यमों की प्रमुख भूमिका होगी। कुल मिलाकर वाहन एवं माइक्रोफाइनैंस जैसे क्षेत्रों के नेतृत्व में पुनर्गठन में वृद्धि दिख सकती है जबकि कॉरपोरेट श्रेणी में लचीलापन बरकरार रहेगा।
दबावग्रस्त परिसंपत्तियों में वृद्धि होने से प्रावधान मद में इजाफा नहीं होगा क्योंकि पिछली कुछ तिमाहियों से ऋणदाताओं ने उच्च प्रावधान कवरेज अनुपात को बनाए रखा है। भालेराव ने कहा कि अधिकतर बैंकों ने अतिरिक्त प्रावधान को बनाए रखा है। जबकि कुल मिलाकर उधारी लागत में तेजी बरकारार है। उन्होंने कहा कि बढ़ी हुई उधारी लागत काफी अधिक नहीं होगी। उधारी लागत में तिमाही दर तिमाही सुधार होता रहेगा लेकिन उसे सामान्य होने में एक या दो तिमाहियों का वक्त लगेगा।
