भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सत्यम और सहायक कंपनियों में बैंकों और भारत में कारोबार कर रहे विदेशी बैंकों के 8,000 करोड रुपये फंसे होने का अनुमान लगाया है।
इस पूरी घटना पर नजर रख रहे सूत्रों का कहना है कि अनुमानित आंकड़ों में बैंकों का सत्यम के भारत और विदेशों में परिचालन के साथ कारोबार शामिल हैं।
उल्लेखनीय है कि सत्यम के पूर्व अध्यक्ष रामलिंग राजू के धोखाधड़ी की बात स्वीकार करने के तुरंत बाद आरबीआई ने बैंकों से सत्यम और इसकी सहायक कंपनियों के साथ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कारोबार की जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया था।
गौरतलब है कि कंपनी रजिस्ट्रार (आरओसी) के हैदराबाद स्थित कार्यालय की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने सत्यम कंप्युटर्स के साथ जुड़े उन आठ कंपनियों की जांच का आदेश दिया था जिन्होंने ने रियल एस्टेअ और प्रॉपर्टी के कारोबार में कदम रखा था।
आंकड़ों के संकलन के तुरंत बाद बैंकों को ब्रोकिंग कंपनियों और इसके संरक्षकों के साथ मार्जिन को बरकरार रखने के लिए सत्यम को दिए जाने वाले लघु अवधि के ऋणों को रोक देने की सलाह दी गई थी।
इसके पीछे वजह यह रही कि उस समय बाजार में शेयरों की कीमतों में तेजी से गिरावट आ रही थी और बाजार में शेयरों की कीमतों में गिरावट को रोकना अत्यंत जरूरी था। हालांकि ऐसे लोग जिनकी डायरेक्ट होल्डिंग में संस्थागत हिस्सेदारी है, उनको सामान्य कर्ज वसूली रास्ता अपनाने की सलाह दी जा सकती है।
इसके अलावा बैंक कंपनी को अपने रियल एस्टेट के विस्तार से फंड मुहैया कराने को भी कह सकता है। अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो फिर बैंकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। गौरतलब है कि जब से सत्यम में वित्तीय अनियमितता का खुलासा हुआ है तब से विभिन्न वित्तीय संस्थानों को उनके ऋणों की वापसी के बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
इस संदर्भ में आबीआई के दिशानिर्देश के अनुसार बैंकों को सबसे पहले अपने ऋणों को गैर-निष्पादित ऋणों के रूप में वर्गीकृत करना पड़ता है और तब बकाया राशि के लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाते हैं।
