किसानों द्वारा महाजनों से लिए गए कर्ज को खरीदने के लिए बैंक तेजी से नई योजना शुरू कर रहे हैं।
बैंक इस नई योजना से न सिर्फ कृषि क्षेत्र की पूंजी की आश्वयकता पूरी कर रहे हैं बल्कि इस योजना में जोखिम भी बहुत कम हैं।
बैंक फिलहाल अपनी योजना उन किसानों को ऑफर कर रहे हैं जिनकी फसल है। इन ऋणों पर लागू होनेवाली ब्याज दरों को मुख्य उधारी दर से जोड़ा गया है।
ऋणों का आकार छोटा होने, बैंकरों की पैनी नजर और महाजन को दी जानेवाली ऊं ची ब्याज दरों के कारण बैंकों की यह योजना काफी आकर्षक बन गई है।
बैंक इन कर्जों को हीसिल करने के लिए नए तरीकों की खोज कर रहे हैं, और इसके लिए वे खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में एजेंट या वेंडरों की नियुक्ति कर रहे हैं।
जैसे, सिंडिकेट बैंक को लीजिए जिसने छोटे स्तर पर बचत और उधार लेने वालों के लिए पिग्मी डिपोजिट योजना शुरू की है। वह पिग्मी एजेंटों के जरिए कर्जों की वसूली करता है और कर्ज के रोजमर्रा के इस्तेमाल पर नजर रखता है।