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बॉन्ड से करें परहेज, अपनाएं स्वैप कांट्रैक्ट: जेपी मॉर्गन

Last Updated- December 07, 2022 | 5:40 AM IST

जेपी मॉर्गन एंड कंपनी ने कहा है कि  भारत में रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी किए जाने के बाद अब निवेशकों को फ्लोटिंग रेट पाने के लिए स्वेप कॉन्ट्रेक्ट में उतरना चाहिए।


साथ ही कंपनी ने यह भी कहा है कि जहां तक संभव हो बांड में निवेश से परहेज करें। अमेरिका के  तीसरे सबसे बडे बैंक  के मुंबई और सिंगापुर स्थित शाखाओं में स्ट्रेटिजिस्ट क्रमश: विकास अग्रवाल और सिद्धार्थ माथुर ने एक रिसर्च नोट में लिखा है कि कारोबारियों को फिक्स्ड रेट पेमेंट केबदले पांच वर्षीय फ्लोटिंग रेट पेमेंट पाने के लिए तैयार हो जाना रहना चाहिए।

मालूम हो कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 11 जून को पिछले 15 माह में पहली बार रीपर्चेस रेट बढ़ाकर 8 प्रतिशत कर दिया है। यह  वर्ष 2002 के बाद की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। जेपी मॉर्गन के इन दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए  लिखा है कि रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी रिजर्व बैंक द्वारा और अधिक कड़े कदम उठाए जाने तरफ इशारा कर रहा है।

उन्हें स्वेप कर्व के और ऊपर जाने की उम्मीद है। इस समय पांच साल का स्वेप रेट, यह वह रेट है जो निवेशक फ्लोटिंग रेट में रिटर्न मिलने के एवज में चुकाना पड़ता है, इस समय 8.42 फीसदी हो चुका है। यह 2001 के बाद सबसे अधिक है। जेपी मॉर्गन नेआनेवाले कुछ सप्ताहों में इसके  8.6 प्रतिशत तक पहुच जाने की भाविष्यवाणी की है।  क्योंकि महंगाई दर बढ़कर 9 प्रतिशत तक के आसपास पहुंच चुकी है।

यह वर्ष 1995 के बाद से सर्वाधिक है। मई में 67 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी के बाद यह रेट पांचवे मासिक एडवांस की ओर बढ़ रहे हैं। यह जून 2004 के बाद सबसे अधिक है। ज्ञातव्य है कि एक बेसिस पाइंट 0.01 फीसदी के बराबर होता है। रिजर्व बैंक के गवर्नर वाईवी रेड्डी  मई के माह में ब्याज दर बढाने वाले  फिलीपींस, वियतनाम और इंडोनोशिया के केन्द्रीय बैंकों के पुल में शामिल हो गए हैं।

भारत ने बीते सप्ताह तेल की कीमतों में पिछले छह सालों में सबसे बड़ा इजाफा किया था। इसके बाद से मुद्रास्फीति और बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में इस वर्ष महंगाई दर बढ़क र 8.24 प्रतिशत तक पहुंच गई जोकि अगस्त 2004 के बाद की सबसे अधिक है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह महंगाई को रोकने की पूरी कोशिश में लगे हुए हैं क्योंकि अगले वर्ष होनवाले आम चुनाव में  महंगाई के एक प्रमुख मुद्दे के रूप में सामने आने की प्रबल संभावना है।

मालूम हो कि  ब्याज दर स्वेप में दो पार्टी किसी खास समय के लिए अपने पेमेंट के एक्सचेंज के लिए समझौता करते हैं जिनमें एक तय दर पर पेमेंट करने पर सहमत होता है जबकि दूसरा उस दर पर पेमेंट करने पर सहमत होता है जोकि इंडेक्स बेंचमार्क के साथ बदलता रहता है। जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल के लिए तय की गई स्वेप में भी वृध्दि हो सकती है क्योंकि अचानक रेपो रेट में आई बढ़ोतरी के बाद निवेशकों के बीच स्वेप कांट्रेक्ट करने की होड़ सी लग गई है, जो अचानक मनी मार्केट रेट  बढ़ने से उत्पन्न स्थिति में अपने हितों को सुरक्षित रखना चाहते हैं।

First Published - June 13, 2008 | 10:19 PM IST

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