अमेरिका के आयात-निर्यात बैंक को भारत के नाभिकीय ऊर्जा कार्यक्र म में निवेश करने की इजाजत मिल गई है,जिसके तहत अमेरिका से उपकरण और सेवा प्रदान की जाएगी। इसका अहम उद्देश्य निर्यात को बढ़ावा देना है।
इसके साथ ही इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि एटमी करार के नियम इस पर लागू नही होंगे। इस बाबत बैंक के चेयरमैन जेम्स लैंबराइट का कहना है कि नाभिकीय ऊर्जा योजना की फंडिंग का मसला एटमी करार से स्वतंत्र है।
हालांकि, इस मसले पर कुछ नही कहा कि फंडिंग को लेकर क्या कोई भारतीय कंपनी बातचीत कर रही है। फंडिंग के सर्मथन में बोलते हुए लैंबराइट ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय ऋणों या फिर भारतीय रूपये के लिहाज से भी फंडिंग सस्ते दर पर होगी। जबकि वाणिज्यिक ऋण भारत के जोखिम पर की जाएगी।
इस बीच एक एजेंसी ने भारतीय वायुयानों को 6 अरब डॉलर प्रदान करने की बात कही है। गौरतलब है कि कुछ भारतीय वायुयान कमसलन एयर इंडिया,जेट एयरवेज के द्वारा क्रेडिट इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है। आयात-निर्यात बैंक भारत में 3.5 अरब डॉलर का निवेश क रने की सोच रहा है,जो इसके बैलेंस शीट का छह फीसदी है।
इसमें भारतीय वायुयानों के क्रेडिट सहित रिलायंस इंडस्ट्रीज को भी दिए जाने वाले निवेश शामिल हैं। लैंब्राइट कहते हैं कि हम भारत में ज्यादा से ज्यादा फंडिंग करना चाहते हैं,और हमें इस बात का पूरा भरोसा है कि भारत हमारे लिए एक बड़ा बाजार साबित होगा। इसने हाल ही में 2.2 अरब डॉलर के फंड आठ भारतीय वित्तीय संस्थागतों के लिए स्थापित किया है। इन संस्थागतों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित पंजाब नेशनल बैंक भी हैं, जिसका इस्तेमाल वो इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में करेंगे।