करदाताओं के लिए मार्च का अंत काफी आपाधापी वाला रहा, अपने बहीखातों को सही रखना कोई आसान काम थोड़े ही है।
और अब सभी जरूरी कागजातों को इकट्ठा करने और संबंधित विभागों में जमा करवाने के बाद, आपको लग रहा होगा कि अप्रैल का महीना बेहद सुकून भरा होगा। एक मिनट जरा ठहरिए तो सही, आप इस गलतफहमी के फेरे से बाहर निकलिए, क्योंकि यही सही समय है, जब आपको एक बार फिर से आने वाले वित्त वर्ष के लिए कर योजना बनानी होगी। और जितना जल्दी आप करेंगे, उतनी आसानी आपको होगी।
ब्याज से मुनाफा : सार्वजनिक भविष्य निधि कोष (पीपीएफ) करदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय है। पीपीएफ 15 वर्षीय योजना है, जिसमें आप 70 हजार रुपये तक प्रति वर्ष निवेश कर सकते हैं और इसमें आपको धारा 80 सी के तहत कर में छूट का लाभ भी मिलता है।
पिछले कुछ वर्षों से तो शेयर बाजार भी काफी अच्छे रिर्टन दे रहा है और सरकार भी धारा 80 सी के तहत इक्विटी लिंक्ड बचत योजनाओं (ईएलएसएस) में निवेश करने की अनुमति दे रही है, बावजूद इसके आज भी लोग पीपीएफ में ज्यादा विश्वास रखते हैं। इस योजना में प्रतिवर्ष 8 प्रतिशत ब्याज प्राप्त होता है, जो करमुक्त होता है।
लेकिन ध्यान रखें कि अप्रैल 5 को आपके खाते में जितनी रकम होगी, ब्याज उतने रुपयों पर ही दिया जाएगा। गौरतलब बात है कि ब्याज दर के लिए हर महीने की पांच तारीख को आधार माना जाता है। इस तारीख को आपके खाते में जितने रुपये होते हैं, उसी पर ब्याज देय होता है।
इसका मतलब यह है कि आप अप्रैल 5 से पहले अगर आप 70 हजार रुपये अपने खाते में जमा करवा देते हैं तो आप इस निवेशित रकम के साथ-साथ पूरे साल का ब्याज कमा पाएंगे। साथ ही क्योंकि सभी बैंक 1 अप्रैल को अपने बही खाते संतुलित करने के लिए बंद होते हैं, इसलिए पीपीएफ निवेशक को चाहिए कि वह जल्दी से वित्त वर्ष की शुरुआत में ही यह रकम बैंक में डाल दे।
मंजिल नहीं है आसान: वेतनभोगियों के लिए, पूरे साले के लिए निवेश की योजना बनाने के अलावा, अप्रैल का महीना, कंपनी के वित्त विभाग में अपना सालभर के लिए प्रस्तावित योजना जमा करवाने का भी समय होता है।
हममें से लगभग सभी अपने कंपनी को दिए जाने वाले घोषणा-पत्र में बेतरतीब आंकड़े लिख देते हैं कि हम इस साल फलां योजना में फलां निवेश करेंगे और होता यह है कि साल के अंत में, आप यह पाते हैं कि न सिर्फ आप वह निवेश नहीं कर पाए हैं, बल्कि आप तो अपने घोषणा-पत्र में बताए गए आंकड़े और आवंटन क्षेत्र भी भूल गए हैं।
उदाहरण के लिए, घोषणा-पत्र में आपने लिखा है कि आप धारा 80 सी के तहत कुल 1 लाख रुपये पीपीएफ में 50 हजार रुपये, ईएलएसएस में 30 हजार रुपये और 5 वर्षों के सावधि जमाखाते में 20 हजार रुपये निवेश करेंगे। लेकिन साल के अंत में, अगर आप निवेश करना भूल गए तब, या तो आप एकमुश्त निवेश करेंगे या फिर आपको वेतन में भारी कटौती का सामना करना होगा।
साथ ही, अगर कुछ कर-बचत निवेश है, जिसे सालभर में करना होगा, तब आपको उस समय में समय में निश्चित राशि उपलब्ध करवानी होगी, जिसका आपने जिक्र किया था। इसलिए आपको वित्त वर्ष की शुरुआत में ही बचत के बारे में भी योजना बनानी अनिवार्य होगी। मान लेते हैं कि इस साल आप घर खरीदने के लिए होम लोन लेने वाले हैं, तो इसके लिए भी आपको शुरुआत में ही सभी गणनाएं करनी होंगी और उन्हें अपने घोषणा पत्र में भी सही तरीके से बताना होगा।
निरंतरता से राहें होंगी आसान: अगर आप कर बचाने के लिए निवेश की योजना बना रहे हैं तो आपको सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का सहारा लेना चाहिए। एसआईपी के लिए आपको जितना जल्दी हो सके, उतनी जल्दी शुरुआत कर देनी चाहिए। अगर आपकी किस्तों की संख्या में कमी होती है, तो हो सकता है कि आपको अधिक कर देना पड़े या फिर साल के अंत में एकमुश्त निवेश करना पड़े जो आपके वित्त कोष पर बुरा असर डाल सकता है।
अप्रैल और मार्च के दौरान निवेशकों के पास कंपनियों और म्युचुअल फंडों से लाभांश के रूप में बहुत-सा पैसा आता है। साथ ही बहुत-सी निवेश योजनाएं इस अवधि में परिपक्व होती हैं। उदाहरण के लिए बड़ी संख्या में म्युचुअल फंडों की निश्चित परिपवक्ता योजनाएं (एफएमपीएस), जो दोहरा सूची लाभ देती हैं, अप्रैल में ही परिपक्व होती हैं।
ठीक इसी तरह मार्च महीने में ली गई बीमा पॉलिसियों पर भी मार्च के अंत और अप्रैल के शुरुआत में ही पैसा मिलता है। इसलिए, इन पैसों को जल्दी से कहीं और निवेश करने की जरूरत होती है। वित्तीय दृष्टि से जरूरी है कि आप अप्रैल में ही वित्तीय योजनाओं पर काम करें और आगे चलकर यह काफी फायदेमंद होता है।