वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) निवेश पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा जारी ताजा दिशा-निर्देशों के बाद निजी क्षेत्र के कई बैंकों का मुनाफा प्रभावित हुआ है।
पिछले महीने, आरबीआई ने घोषणा की थी कि बैंक, एनबीएफसी और गृह वित्तीय सेवा प्रदाता जैसी विनियमित इकाइयां उन एआईएफ में निवेश नहीं कर सकतीं जिनका ऋणदाताओं से उधार लेने वाली कंपनियों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष निवेश हो।
यदि किसी इकाई ने पहले से ही ऐसा निवेश कर रखा हो तो आरबीआई के प्रावधान के अनुसार उसे निवेश बेचना होगा या 100 प्रतिशत प्रावधान करना होगा। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े ऋणदाता एचडीएफसी बैंक समेत आईसीआईसीआई बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ने केंद्रीय बैंक के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रावधान किए हैं।
एचडीएफसी बैंक ने ऐसे निवेश के लिए 1,200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जबकि आईसीआईसीआई बैंक ने 627 करोड़ रुपये का प्रावधान किया। ऐसे निवेश के लिए कोटक महिंद्रा बैंक का प्रावधान संबंधित खर्च 190 करोड़ रुपये रहा।
एचडीएफसी बैंक के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवासन वैद्यनाथन ने नतीजों के बाद कहा, ‘एआईएफ पर, हमारा बहीखाता 1,220 करोड़ रुपये था। उचित वैल्यू इससे 500 करोड़ रुपये अधिक है। हालांकि मौजूदा लागू आरबीआई सर्कुलर में 18 जनवरी तक प्रावधान करने को कहा गया। हमने 100 प्रतिशत एआईएफ वैल्यू के लिए आकस्मिक प्रावधान किया है।’
एआईएफ निवेश की वजह से तीसरी तिमाही में आईसीआईसीआई बैंक का कुल प्रावधान दूसरी के मुकाबले करीब दोगुना बढ़कर 1,050 करोड़ रुपये हो गया। दूसरी तिमाही में यह आंकड़ा 583 करोड़ रुपये था। शेयरखान बाई बीएनपी पारिबा के उपाध्यक्ष (फंडामेंटल रिसर्च, बैंकिंग) एवं एनबीएफसी विश्लेषक राहुल मलानी ने कहा, ‘मुख्य ऋण लागत कम बनी हुई है, लेकिन कुल ऋण लागत एआईएफ में निवेश से संबंधित ऊंचे प्रावधानों की वजह से बढ़ गई।’
इंडसइंड बैंक ने एआईएफ के लिए कोई प्रावधान नहीं किया है, क्योंकि उसने अपना 113 करोड़ रुपये का निवेश बेचने की योजना बनाई है। ऐक्सिस बैंक ने मंगलवार को अपने वित्तीय परिणाम की घोषणा की है।
कोटक महिंद्रा बैंक के समूह अध्यक्ष एवं समूह मुख्य वित्तीय अधिकारी जयमिन भट्ट ने कहा, ‘इस तिमाही में हमें दो समस्याओं का सामना करना पड़ा। पहली, एआईएफ निवेश की वजह से 190 करोड़ रुपये का प्रावधान खर्च। दूसरी समस्या ट्रेडिंग बुक की वजह से थी जिसमें हमारे पास निर्धारित आय वाला बहीखाता था, हमें इस तिमाही में 168 करोड़ रुपये के प्रभाव का सामना करना पड़ा।’
तीसरी तिमाही में जिन बैंकों ने नतीजों की घोषणा की है, उन्होंने पिछले साल नवंबर में आरबीआई द्वारा निर्धारित असुरक्षित ऋणों पर ऊंचे जोखिम भारांक की वजह से पूंजी पर्याप्तता अनुपात में कमी दर्ज की है। असुरक्षित ऋणों के लिए जोखिम भार 100 प्रतिशत से बढ़ाकर 125 प्रतिशत किया गया।