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अखाड़े से विधान सभा तक…विनेश फोगाट ने कुछ ऐसे लहराया जीत का परचम

जुलाना सीट पर जहां फोगाट चतुष्कोणीय मुकाबले में घिरी थीं, वहीं पार्टी की निगाहें 2005 के बाद से पहली बार इस सीट को हासिल करने पर टिकी थीं।

Last Updated- October 08, 2024 | 10:43 PM IST
From Akhara to Legislative Assembly...Vinesh Phogat hoisted the flag of victory like this अखाड़े से विधान सभा तक...विनेश फोगाट ने कुछ ऐसे लहराया जीत का परचम

अगर संकल्प का कोई चेहरा होता, तो निश्चित रूप से वह विनेश फोगाट से काफी मिलता-जुलता। कुश्ती के अखाड़े की एक अनुभवी खिलाड़ी और एक मुखर आवाज के तौर पर सत्ता के खिलाफ खड़ी होने वाली विनेश फोगाट अब हरियाणा विधान सभा में कांग्रेस की नवनिर्वाचित विधायक हैं।

हरियाणा विधान सभा चुनाव के चर्चित चेहरों में शुमार फोगाट ने जुलाना से 6,015 मतों के अंतर से अपना पहला चुनाव जीता है। तीस-वर्षीया फोगाट के लिए मतगणना की सुबह काफी मुश्किल रही, क्योंकि वह कई बार भाजपा के अपने प्रतिद्वंद्वी योगेश कुमार से पिछड़ीं या बराबरी पर रहीं, लेकिन चरखी दादरी की इस छोटे कद की खिलाड़ी ने अंतत: जीत हासिल कर ही ली। यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह ऐसी विजय है जो लंबे समय तक उनके जेहन में ताजा रहेगी।

जुलाना सीट पर जहां फोगाट चतुष्कोणीय मुकाबले में घिरी थीं, वहीं पार्टी की निगाहें 2005 के बाद से पहली बार इस सीट को हासिल करने पर टिकी थीं। यही नहीं इस कड़े मुकाबले के बीच फोगाट की नजर राज्य में चुनाव जीतने वाली पहली महिला पहलवान बनने पर भी थी।

कुश्ती से संन्यास ले चुकीं फोगाट की जिंदगी के उतार-चढ़ाव ऐसे हैं कि अगर वह जल्द ही किसी मेगा-बजट बॉलीवुड बायोपिक के लिए प्रेरणास्रोत बन जाती हैं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। एक महीने से थोड़ा अधिक समय पहले, उन्होंने वह कदम उठाया जिसकी लोग महीनों से उम्मीद लगा रहे थे और अंतत: उन्होंने हरियाणा विधान सभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर राजनीति में पदार्पण किया।

कांग्रेस को सत्तारूढ़ भाजपा को उखाड़ फेंकने का भरोसा था, जो 10 साल से सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही थी। हालांकि ऐसा हो न सका, क्योंकि भाजपा विधान सभा की कुल 90 सीट में से 48 पर जीत दर्ज कर चुकी है जबकि कांग्रेस 36 सीट जीत चुकी है।

फोगाट ने नौ साल की उम्र में अपने पिता को खोने का दर्द पाया, लेकिन कुश्ती के खेल ने उन्हें संबल दिया। हालांकि हाल में संपन्न पेरिस ओलिंपिक के घटनाक्रम ने उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से लगभग तोड़ दिया था और आखिरकार उन्होंने हार मान ली। फोगाट ने मान लिया कि अब वह इस खेल से नहीं लड़ सकतीं। इसके बाद फोगाट ने ‘राजनीति के अखाड़े’ के लिए खुद को तैयार किया एवं जीत का परचम लहराया।

First Published - October 8, 2024 | 10:43 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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