अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को 28 दलों के गठबंधन इंडिया ने ‘जहां तक संभव हो’ एक साथ लड़ने का संकल्प लिया। इसके साथ ही विपक्षी दलों के नेताओं ने इस महीने के अंत तक यानी 30 सितंबर तक एक हाथ दे और दूसरे हाथ ले की भावना के साथ सीट बंटवारे पर भी फैसला करने का निर्णय लिया है।
इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (इंडिया) की मुंबई में दो दिनों तक चली तीसरी बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं ने बढ़ती महंगाई, नरेंद्र मोदी सरकार के साठगांठ वाले पूंजीवाद, सरकार की गरीब विरोधी नीतियों, बड़े कारोबारियों की पसंदीदा नीति, भारतीय भूमि पर चीन के कब्जा आदि मामलों को लेकर जनता के बीच जाने का फैसला किया है। भाजपा के खिलाफ बना यह गठबंधन केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए एकजुट रहेगा।
बैठक के दौरान पार्टी नेताओं ने तय किया कि वे देश के विभिन्न इलाकों में जनता से जुड़े मुद्दों के साथ रैलियां करेंगे। सूत्रों ने बताया कि पहली रैली दिल्ली में हो सकती है। वहीं इंडिया की अगली बैठकें हैदराबाद या भोपाल में हो सकती हैं जहां अभी चुनाव होने वाले हैं।
विपक्षी गठबंधन ने मुंबई से यह संकेत भी दिया है कि वह प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के खिलाफ किसी चेहरे पर दाव लगाने की बजाय मुद्दों को आगे करके जनता के बीच जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ सप्ताह के भीतर ही सीटों पर तालमेल को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
मुंबई के एक पंचसितारा होटल में 28 दलों के 60 से अधिक प्रतिनिधियों की दो दिवसीय मंत्रणा के बाद विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन के लिए 14 सदस्यीय समन्वय समिति, 19 सदस्यीय चुनाव अभियान समिति, सोशल मीडिया से संबंधित 12 सदस्यीय कार्य समूह, मीडिया के लिए 19 सदस्यीय कार्यसमूह और शोध के लिए 11 सदस्यीय समूह का गठन किया।
इस बैठक से पहले संयोजक को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही थीं, हालांकि शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे का कहना है कि ‘इंडिया’ के लिए संयोजक की जरूरत नहीं है क्योंकि मोर्चे की समन्वय समिति बनी है जो सहमति के आधार पर काम करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि ‘इंडिया’ का ‘लोगो’ जारी करने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया ताकि लोगों के सुझाव लिए जा सकें।
गठबंधन के प्रधानमंत्री पद के चेहरे से जुड़े सवाल पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संवाददाताओं से कहा, ‘सवाल चेहरे का नहीं है। खुशी की बात है कि सब साथ आए हैं। अगर अलग-अलग विचारधाराओं के लोग साथ आते हैं, तो नाम भी आ जाएगा।’
बैठक में द्रमुक अध्यक्ष और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने शुक्रवार को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के साझेदारों से तुरंत एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) तैयार करने का आग्रह किया और कहा कि यही गठबंधन का चेहरा होगा। उन्होंने कहा, ‘यह (सीएमपी) विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का चेहरा होगा।
भाजपा सरकार ने देश को कई तरीकों से बर्बाद कर दिया है। इसे (सीएमपी) लोगों के सामने एक खाका पेश करना चाहिए जिसमें यह बताया जाए कि बदलाव के लिए हमारी योजना क्या है।’ विपक्षी गठबंधन ने यह संकल्प भी लिया कि वे अगला लोकसभा जहां तक संभव होगा मिलकर लड़ेंगे तथा सीटों के तालमेल पर तत्काल काम शुरू किया जाएगा। गठबंधन की बैठक में पारित प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि सीट बंटवारे का काम ‘इस हाथ दे, उस हाथ ले’ की सहयोगात्मक भावना के साथ जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘हम ‘इंडिया’ के घटक दल आगामी लोकसभा चुनाव जहां तक संभव हो मिलकर लड़ने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे का काम तुरंत शुरू होगा और लेन-देन की सहयोगात्मक भावना के साथ इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाए।’ विपक्षी दलों ने जल्द ही जनहित से जुड़े मुद्दों पर जनसभाएं आयोजित करने का भी संकल्प लिया है।
गठबंधन की समन्वय समिति ही गठबंधन की सर्वोच्च इकाई के रूप में काम करेगी। इस समिति में कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता टी आर बालू, राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी. राजा, नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती शामिल हैं। इसमें जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष ललन सिंह और समाजवादी पार्टी के सांसद जावेद अली खान को भी शामिल किया गया है।
माकपा से कोई एक नेता बाद में इस समिति में शामिल होंगे। दूसरे दिन की औपचारिक बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख एवं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) नेता एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, राकांपा नेता शरद पवार, शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और कई अन्य विपक्षी दलों के नेता शामिल थे।