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Lok Sabha Election Results: वायनाड ने फिर Rahul Gandhi को जिताया, अब कांग्रेस नेता के सामने निर्वाचन क्षेत्र चुनने का सवाल

Rahul Gandhi ने कहा, ‘‘मुझसे पूछा जा रहा है कि मैं वायनाड से सांसद रहूंगा या रायबरेली से, मैं दोनों जगह से सांसद रहना चाहता हूं। आप सभी को बधाई।’’

Last Updated- June 05, 2024 | 10:56 AM IST
Congress party
Congress press conference in Delhi after Lok Sabha Election Results

Lok Sabha Election Results: लगातार दूसरी बार राहुल गांधी की जीत सुनिश्चित करने वाली वायनाड लोकसभा सीट के तहत इस आदिवासी जिले और मुस्लिम बहुल मलप्पुरम के तीन-तीन विधानसभा क्षेत्र के साथ ही कोझीकोड जिले का एक क्षेत्र है जहां ईसाइयों की तादाद अच्छी-खासी है। राहुल ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) की एनी राजा को 3.64 लाख से अधिक वोटों के अंतर से हराया है।

कांग्रेस के दिग्गज नेता के रायबरेली से भी जीत दर्ज करने के बाद अब सवाल खड़ा हो गया है कि वह किस निर्वाचन क्षेत्र को चुनेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा है कि अभी उन्होंने यह फैसला नहीं लिया है कि वह लोकसभा में किस सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे। यह पूछे जाने पर कि वह लोकसभा में किस सीट का प्रतिनिधित्व करेंगे, इस पर राहुल ने मंगलवार को कहा, ‘‘मैंने दोनों सीट जीत ली हैं और मैं रायबरेली तथा वायनाड के मतदाताओं को दिल से धन्यवाद देना चाहता हूं। अब मुझे फैसला करना होगा कि मैं किस सीट को चुनूं। हम चर्चा करेंगे और फिर फैसला करेंगे। दोनों सीटों पर नहीं रह सकता, लेकिन मैंने अभी तक फैसला नहीं किया है।’’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा, ‘‘मुझसे पूछा जा रहा है कि मैं वायनाड से सांसद रहूंगा या रायबरेली से, मैं दोनों जगह से सांसद रहना चाहता हूं। आप सभी को बधाई।’’ कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा ने 26 अप्रैल को हुए चुनाव में वायनाड से अपने नेता की जीत का हमेशा विश्वास जताया था। राहुल गांधी को चुनौती देने के लिए मजबूत उम्मीदवार खड़े करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और वाम दल ने दावा किया कि अगर वह उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव जीतते हैं तो वायनाड सीट छोड़ देंगे।

दिलचस्प बात यह है कि लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में केरल में मतदान पूरा होने तक यह पुष्टि नहीं की गयी थी कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से किसी और सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं। भाकपा ने वायनाड से राहुल के मुकाबले अपनी वरिष्ठ नेता एनी राजा को उतारा, जबकि भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन को उतारा। अपनी हरी-भरी पहाड़ियों, विविध सांस्कृतिक विरासत और अच्छी-खासी आदिवासी आबादी के लिए मशहूर वायनाड लोकसभा सीट तब से भारतीय राजनीति के केंद्र में रही है जब से राहुल गांधी ने 2019 में यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी।

इस निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र : वायनाड में कलपेट्टा, सुल्तान बाथेरी और मनंथावाडी, कोझीकोड में तिरुवम्बाडी और मलप्पुर में निलम्बुर, वंडूर और इरानाड आते हैं और प्रत्येक क्षेत्र विविध सामाजिक-आर्थिक तानेबाने को दर्शाता है।

वायनाड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाने वाली खेती को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जिसमें बाजार के दामों में उतार-चढ़ाव और फसलों का बर्बाद होना शामिल है। इस निर्वाचन क्षेत्र में आदिवासी कल्याण, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुद्दे भी हैं और मजबूत बुनियादी ढांचे के विकास की आवश्यकता भी है। यूडीएफ ने इस क्षेत्र में राहुल गांधी के काम पर केंद्रित प्रचार अभियान चलाया जबकि भाजपा और वाम दल ने इस पर पलटवार करते हुए निर्वाचन क्षेत्र से उनकी लंबे समय तक अनुपस्थिति का आरोप लगाया और मानव-पशु संघर्ष समेत लोगों से जुड़े कई मुद्दों को हल करने में उनकी नाकामी का मुद्दा उठाया।

बहरहाल, कांग्रेस ने दलील दी कि राहुल ने वायनाड में लोगों खासतौर से आदिवासियों और गरीबों की जिंदगियों में सुधार लाने के मकसद से कई योजनाएं शुरू कीं। राहुल ने 2019 के लोकसभा चुनाव में वायनाड से भाजपा के अपनी करीबी प्रतिद्वंद्वी पी पी सुनीर के खिलाफ 4,31,770 मतों के अच्छे-खासे अंतर से जीत हासिल की थी। वायनाड में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान 80.31 प्रतिशत मतदान हुआ था। इस बार 73.57 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

राहुल गांधी के तीन अप्रैल को कलपेट्टा में रोडशो ने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान पूरे देश का ध्यान खींचा। यह 2019 के रोडशो से अलग था जब कांग्रेस के सहयोगी दल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के हरे झंडे भीड़ में कांग्रेस के झंडों पर भारी पड़े थे। इस बार रैली में दोनों ही पार्टी के झंडे नदारद दिखे। झंडों के बजाय पार्टी कार्यकर्ताओं ने विभिन्न रंगों के गुब्बारे लिए हुए थे। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नेता अमित शाह ने राहुल गांधी की आलोचना करते हुए आईयूएमएल के हरे झंडों के संदर्भ में कहा था कि इलाके में एक रैली के दौरान यह पता लगाना मुश्किल था कि यह भारत है या पाकिस्तान।

First Published - June 5, 2024 | 10:56 AM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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