कांग्रेस ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को अधिसूचित किए जाने के बाद सोमवार को आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव से पहले देश और खासकर पश्चिम बंगाल एवं असम में ध्रुवीकरण का प्रयास किया गया है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि चुनावी बॉण्ड पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने ‘हेडलाइन मैनेज करने’ की कोशिश भी की है।
विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA), 2019 को लागू करने से जुड़े नियमों को सोमवार को अधिसूचित कर दिया गया, जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से दस्तावेज के बिना आने वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एक बार सीएए के नियम जारी हो जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार 31 दिसंबर,2014 तक भारत आए बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘दिसंबर, 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल पेशेवर और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना समय प्रधानमंत्री के सफ़ेद झूठ की एक और झलक है।’
दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को चार साल और तीन महीने लग गए। प्रधानमंत्री दावा करते हैं कि उनकी सरकार बिल्कुल प्रोफेशनल ढंग से और समयबद्ध तरीक़े से काम करती है। सीएए के नियमों को अधिसूचित करने में लिया गया इतना…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 11, 2024
उन्होंने आरोप लगाया कि सीएए के नियमों की अधिसूचना के लिए नौ बार समयसीमा बढ़ाने की मांग के बाद इसकी घोषणा करने के लिए जानबूझकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले का समय चुना गया है।
रमेश ने दावा किया, ‘ऐसा स्पष्ट रूप से चुनाव में ध्रुवीकरण करने के लिए किया गया है, विशेष रूप से असम और बंगाल में। यह चुनावी बॉण्ड घोटाले पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी फटकार और सख़्ती के बाद ‘हेडलाइन को मैनेज करने’ का प्रयास भी प्रतीत होता है।’