कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हिंदी पट्टी में जबरदस्त टक्कर दी है। भाजपा को 2019 में 303 सीटों के मुकाबले करीब 60 सीटों का नुकसान हो सकता है और इनमें से करीब 50 सीटों का नुकसान उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा जैसे हिंदी पट्टी के राज्यों में मिली हार के कारण हुआ।
अगर इन राज्यों में 2019 के नतीजे से तुलना करें तो भाजपा को उत्तर प्रदेश में करीब 30 सीटें, राजस्थान में 10, हरियाणा में 5, बिहार में 5, झारखंड में 3 और पंजाब में 2 सीटों का नुकसान हुआ। भाजपा को इस बात से भी झटका लगा कि अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के कुछ ही महीनों बाद फैजाबाद सीट पर हार का सामना करना पड़ा जो अयोध्या जिले में है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने राज्य की 88 सीटों में से 44 पर जीत दर्ज की है।
समाजवादी पार्टी 37 सीटों पर आगे चल रही थी जिससे वह इस लोक सभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। राज्य में भाजपा को खबर लिखे जाने तक 32 सीटों पर बढ़त हासिल थी जो 2009 के बाद उसका सबसे खराब प्रदर्शन है जब उसे महज 10 सीटें मिली थीं। पांच साल पहले भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं, जबकि उसके सहयोगी अपना दल (सोनीलाल) ने दो सीटें जीती थीं।
साल 2014 में भाजपा ने राज्य में 71 सीटें जीती थीं जबकि अपना दल को 2 सीटों पर जीत मिली थी। नैशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ दलित ऑर्गेनाइजेशन (एनएसीडीओआर) के प्रमुख अशोक भारती ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि बसपा के समर्थक दलित और विशेषकर जाटव जनाधार सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर खिसक गया।’
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की है। साल 2024 के लोक सभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की वोट हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा बढ़ गई, जबकि भाजपा की पांच साल पहले हासिल की गई करीब 50 फीसदी वाली वोट हिस्सेदारी घटकर 42 फीसदी पर आ गई। भाजपा को सर्वाधिक नुकसान पूर्वांचल क्षेत्र में हुआ जहां से केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्री एवं अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया पटेल ने जीत हासिल की।
मोदी की जीत का अंतर साल 2019 के मुकाबले काफी कम हो गया। राजस्थान में पिछली बार अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल की एक सीट मिलाकर 25 में से 25 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार करीब 10 सीटों पर पिछड़ गई। कांग्रे, ने दिसंबर के विधान सभा चुनावों से सीख लेते हुए छोटे दलों के साथ गठबंधन किया। कांग्रेस 8 सीटों पर जीती जबकि उसके सहयोगी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय आदिवासी पार्टी और बेनीवाल की आरएलपी ने एक-एक सीट जीती। भाजपा 14 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही।
मगर पार्टी ने पार्टी ने पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में अपनी पकड़ बनाए रखी, जहां उसने सभी 9 सीटें जीतीं और अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ा ली। भाजपा को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी एक-एक सीट का फायदा हुआ। मध्य प्रदेश में भाजपा ने पहली बार छिंदवाड़ा सीट समेत बाकी 28 सीटें भी जीत लीं। 2019 में उसने छिंदवाड़ा को छोड़कर राज्य में 28 सीटें जीती थीं। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में भाजपा 10 सीटों पर आगे चल रही है, जो 2019 में जीती गई 9 सीटों से 1 अधिक है।
हरियाणा में पिछली बार दसों सीट पर जीतने वाली भाजपा इस बार कांग्रेस से पांच सीटों पर हार गई। वहीं, बिहार में पिछली बार 17 सीटों पर जीतने वाली भाजपा इस बार 12 सीटों पर सिमट गई।