अब रद्द हो चुके चुनावी बॉन्ड के शीर्ष खरीदार ‘फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज’ ने इसके माध्यम से तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी द्रमुक को 509 करोड़ रुपये का दान दिया। निर्वाचन आयोग के आंकड़ों से रविवार को यह जानकारी सामने आई। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) द्वारा बताए गए 656.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड से मिली कुल रकम में ‘फ्यूचर गेमिंग’ द्वारा दिया गया दान 77 प्रतिशत से अधिक है। इस कंपनी के मालिक, ‘लॉटरी किंग’ सैंटियागो मार्टिन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के दायरे में हैं।
अधिकांश राजनीतिक दलों ने दानदाताओं के नामों का खुलासा नहीं किया है। इसलिए यह ज्ञात नहीं है कि ‘फ्यूचर गेमिंग’ द्वारा खरीदे गए शेष 859 करोड़ रुपये के बॉन्ड के लाभार्थी कौन थे। यह खुलासा उच्चतम न्यायालय के आदेश पर निर्वाचन आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए कुल 523 मान्यता प्राप्त और गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों से संबंधित आंकड़ों के विवरण का हिस्सा है। पिछले सप्ताह निर्वाचन आयोग द्वारा एक और आंकड़ा प्रकाशित किया गया था, जो भारतीय स्टेट बैंक (भारतीय स्टेट बैंक ) द्वारा प्रस्तुत की गई जानकारी पर आधारित था।
भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉन्ड बेचने और भुनाने के लिए अधिकृत एकमात्र बैंक है। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों में राजनीतिक दलों द्वारा किए गए खुलासों की स्कैन की गई प्रतियां शामिल हैं। यह प्रतियां सैकड़ों पृष्ठों में हैं।
शुरुआत में भारतीय स्टेट बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ा 12 अप्रैल, 2019 से पिछले महीने शीर्ष अदालत द्वारा बॉन्ड को खत्म करने तक की अवधि से संबंधित था, वहीं नवीनतम खुलासा पिछले साल नवंबर में विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा 2018 की शुरुआत में योजना शुरू होने के बाद से उनके द्वारा भुनाए गए बॉन्ड पर दी गई घोषणाओं पर आधारित है और इसमें अंतिम कुछ किस्तों को शामिल नहीं किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना के लागू होने के बाद से इनके (बॉन्ड के) माध्यम से सबसे अधिक 6,986.5 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त हुई। इसके बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस (1,397 करोड़ रुपये), कांग्रेस (1,334 करोड़ रुपये) और भारत राष्ट्र समिति (1,322 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा की सत्तारूढ़ पार्टी बीजद को 944.5 करोड़ रुपये मिले। इसके बाद द्रमुक ने 656.5 करोड़ रुपये और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी वाईएसआर कांग्रेस ने लगभग 442.8 करोड़ रुपये के बॉन्ड भुनाए।
गैर सरकारी संगठन, एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2018 से जनवरी 2024 तक 16,518 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड बेचे गए थे। दोनों आंकड़ों को मिलाकर अनुमान लगाया गया है कि योजना की पूरी अवधि के दौरान भाजपा को कुल 7,700 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई है।
रविवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनता दल (सेक्युलर) को 89.75 करोड़ रुपये के बॉन्ड मिले, जिसमें चुनावी बॉन्ड की दूसरी सबसे बड़ी खरीदार मेघा इंजीनियरिंग से मिले 50 करोड़ रुपये भी शामिल हैं।
फ्यूचर गेमिंग कंपनी 1,368 करोड़ रुपयों के साथ चुनावी बॉन्ड की सबसे बड़ी खरीदार थी, जिसमें से लगभग 37 प्रतिशत द्रमुक को गया। द्रमुक के अन्य प्रमुख दानदाताओं में मेघा इंजीनियरिंग 105 करोड़ रुपये, इंडिया सीमेंट्स 14 करोड़ रुपये और सन टीवी 100 करोड़ रुपये शामिल हैं।
तृणमूल कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 1,397 करोड़ रुपये मिले और वह भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी प्राप्तकर्ता है। द्रमुक दानदाताओं की पहचान का खुलासा करने वाले कुछ राजनीतिक दलों में से एक है, जबकि भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल और आप जैसे प्रमुख दलों ने निर्वाचन आयोग को इन विवरणों का खुलासा नहीं किया था।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी अब सार्वजनिक कर दी है। तेदेपा ने 181.35 करोड़ रुपये, शिवसेना ने 60.4 करोड़ रुपये, राजद ने 56 करोड़ रुपये, समाजवादी पार्टी ने चुनावी बॉन्ड के जरिए 14.05 करोड़ रुपये प्राप्त किए।
आंकड़ों में कहा गया कि अकाली दल ने 7.26 करोड़ रुपये, अन्नाद्रमुक ने 6.05 करोड़ रुपये, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भारती ग्रुप से मिले 50 लाख रुपये के बॉन्ड भुनाए। सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को भी 50 लाख रुपये के चुनावी बॉन्ड दान में मिले।
आम आदमी पार्टी ने हालांकि अपने दान का संचयी आंकड़ा नहीं दिया, लेकिन भारतीय स्टेट बैंक के आंकड़ों से पता चला कि उसे 65.45 करोड़ रुपये मिले थे, जबकि निर्वाचन आयोग में दी गई जानकारी के बाद उसे 3.55 करोड़ रुपये और मिलने का अनुमान है, जिससे कुल दान 69 करोड़ रुपये हो गया।
माकपा ने घोषणा की थी कि वह चुनावी बॉन्ड के माध्यम से धन प्राप्त नहीं करेगी, जबकि एआईएमआईएम, इनेलोद और बसपा ने कोई रकम प्राप्त नहीं करने की जानकारी दी है। खुलासे के बाद, विपक्षी दलों ने चुनावी बॉन्ड को वैध भ्रष्टाचार करार दिया है, जबकि भाजपा ने कहा है कि बांड को खत्म करने से राजनीति में काले धन की वापसी हो सकती है।