नवंबर महीने में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर तेजी से घटकर 21 माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। ज्यादा आधार और खाद्य, ईंधन और विनिर्मित उत्पादों की कीमतों का दबाव कम होने के कारण थोक महंगाई दर नवंबर में 5.85 प्रतिशत पर है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य महंगाई भी नवंबर महीने में 20 माह के निचले स्तर 2.17 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो अक्टूबर महीने में 6.48 प्रतिशत थी। फलों व सब्जियों के दाम घटने के साथ प्रोटीन वाले आयटम जैसे अंडा, मांस और मछली की कीमत कम होने से महंगाई घटी है।
बहरहाल मोटे अनाज गेहूं, धान, आलू, प्याज और दूध उत्पादों के दाम बढ़े हैं। ईंधन की महंगाई (17.35 प्रतिशत) और विनिर्मित वस्तुओं (3.59 प्रतिशत) की कीमत भी इस माह के दौरान कम हुई है।
चालू वित्त वर्ष में यह दूसरा मौका है, जब फैक्टरी-गेट महंगाई दर एक अंक में दर्ज की गई है। खासकर यह जिंसों के वैश्विक दाम में कमी और आधार कम रहने के कारण हुआ है। प्रमुख महंगाई दर में गैर खाद्य और गैर ईंधन की कीमत भी लगातार सातवें महीने घटकर नवंबर में 3.5 प्रतिशत हो गई है, जो अक्टूबर में 4.7 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं की महंगाई दर में कमी के कारण ऐसा हुआ है। केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि थोक महंगाई नवंबर में तेजी से गिरी है, यह उपभोक्ता महंगाई (सीपीआई) की तरह ही है और डब्ल्यूपीआई और सीपीआई महंगाई दर के बीच अंतर भी कम हो रहा है, जो एक साल पहले 10 प्रतिशत के उच्च स्तर पर था।
उन्होंने कहा, ‘डब्ल्यूपीआई और सीपीआई महंगाई दर में नवंबर महीने में गिरावट की एक वजह मौसमी है। बहरहाल इससे अर्थव्यवस्था को राहत मिली है। कुल मिलाकर जिंसों के वैश्विक दाम में कमी भी महंगाई को रोक रही है।’
अगर फार्मास्यूटिकल्स, तंबाकू और चमड़े के उत्पादों को छोड़ दें तो अन्य विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी सुस्त रही है। कीमत वृद्धि में सबसे तेज गिरावट मूल धातुओं और सब्जियों के साथ एनिमल ऑयल और बसा में आई है। इसी तरह से थोक महंगाई दर में रसोई गैस, हाई स्पीड डीजल और पेट्रोल की कीमत तेजी से गिरी है और इसमें क्रमशः 13.40 प्रतिशत, 42.10 प्रतिशत और 14.11 प्रतिशत की कमी आई है।
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बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि गेहूं की कीमत में आने वाले महीनों में कुछ उतार चढ़ाव की संभावना है क्योंकि रशियन फेडरेशन एक बार फिर ब्लैक सी ग्रेन इनीशिएटिव में शामिल हो गया है, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि आगे चलकर थोक महंगाई दर और कम होगी। उन्होंने कहा, ‘बहरहाल थोक महंगाई रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति के हिसाब से बहुत अहम नहीं है। रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई पर नजर रखता है, जो दिसंबर में 6 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है।’ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी मौद्रिक नीति समिति को खुदरा महंगाई दर घटाने का लक्ष्य सौंपा है, थोक महंगाई दर घटाने का नहीं। लेकिन यह एक दूसरे पर असर डालते हैं।