मार्च महीने में थोक मूल्य सूचकांक (WPI) पर आधारित महंगाई दर गिरकर 29 माह के निचले स्तर 1.34 प्रतिशत पर पहुंच गई। फरवरी में यह 3.85 प्रतिशत थी। ज्यादा आधार के असर (base effect) और विनिर्मित उत्पादों ( manufactured products)की कीमत में गिरावट के कारण ऐसा हुआ है।
मार्च 2022 में थोक महंगाई दर 14.63 प्रतिशत थी। यह लगातार छठा महीना है, जब थोक महंगाई दर एक अंक में है। इसके पहले थोक महंगाई 18 महीने के उच्च स्तर पर थी। नवंबर 2020 में यह 2.29 प्रतिशत थी।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि विनिर्मित वस्तुओं की कीमतें करीब 3 माह में पहली बाद घटी हैं। मुख्य रूप से टेक्सटाइल और धातुओं की कीमत में गिरावट की वजह से ऐसा हुआ है।
उन्होंने कहा कि बहरहाल खाद्य की कीमतों में तेजी रही, लेकिन ईंधन, बिजली और विनिर्मित उत्पादों की कम कीमत से इसकी भरपाई हो गई।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों से पता चलता है कि विनिर्मित वस्तुओं की कीमत (-0.77 प्रतिशत) मार्च में घटी है, जिसकी महंगाई दर फरवरी में 1.94 प्रतिशत थी। इस दौरान केमिकल्स, फार्मास्यूटिकल्स और सीमेंट की कीमत में तेजी आई जबकि विनिर्मित खाद्य उत्पादों (-2.96 प्रतिशत), कागज (-1.01 प्रतिशत)और लकड़ी (-0.83 प्रतिशत) की कीमत में गिरावट आई है। साथ ही टेक्सटाइल (-4.93 प्रतिशत) और वसा (-21.33 प्रतिशत) की कीमत में गिरावट जारी रही है।
बहरहाल विनिर्मित खाद्य वस्तुओं को छोड़कर खाद्य महंगाई मार्च में बढ़कर 5.48 प्रतिशत हो गई जो फरवरी में 3.81 प्रतिशत थी। इसमें दलहन (3.03 प्रतिशत) की कीमत में बढ़ोतरी ने अहम भूमिका निभाई। वहीं सब्जियों की कीमत में मामूली संकुचन (-2.2 प्रतिशत) आया है।
वहीं दूसरी तरफ मोटे अनाज (9.48 प्रतिशत), धान (7.54 प्रतिशत), गेहूं (9.16 प्रतिशत), दूध (8.48 प्रतिशत) और फलों (4.89 प्रतिशत) की कीमत मार्च में गिरी है।
इसके अलावा मार्च में ईंधन की महंगाई घटकर 8.96 प्रतिशत रह गई है, जो फरवरी में 14.82 प्रतिशत थी। पेट्रोल की कीमत घटकर 6.48 प्रतिशत और हाई स्पीड डीजल की 11.85 प्रतिशत रह गई है। बहरहाल एलपीजी की कीमत में लगातार 4 महीने की कमी के बाद मार्च में 3.31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
थोक महंगाई में गिरावट ऐसे समय आई है जब मार्च में खुदरा महंगाई घटकर 5.66 प्रतिशत रह गई है, जो केंद्रीय बैंक द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से 2023 में पहली बार कम हुई है।
अप्रैल में भारतीय रिजर्व बैंक की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने एकमत होकर नीतिगत रीपो दर 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखने का फैसला किया था, लेकिन यह मानने से इनकार कर दिया है कि दर शीर्ष स्तर पर है।
मौद्रिक नीति पर फैसला करने में रिजर्व बैंक खुदरा महंगाई पर नजर रखता है, लेकिन थोक मूल्य पर आधारित महंगाई दर में गिरावट होने से आने वाले महीनों में खुदरा महंगाई में गिरावट की उम्मीद बनती है।
खुदरा और थोक महंगाई दर में अंतर अब मार्च में बढ़कर 423 आधार अंक हो गया है, जो नवंबर में महज 24 आधार अंक था।