केंद्र सरकार ने कहा कि उसकी नीतियों पूर्ववर्ती संप्रग सरकार से बिल्कुल अलग हैं। यह सरकार के बुनियादी ढांचे पर खर्च से देखा जा सकता है, जो उसके बजट खर्च का लगभग एक तिहाई है, जबकि वर्ष 2004 से 2014 के बीच यह बजट का 16 प्रतिशत ही रहा। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा तैयार श्वेत पत्र में कहा गया है कि उन दस वर्षों में सार्वजनिक निवेश से होने वाले पूंजीगत खर्च को हतोत्साहित किया गया। इससे दीर्घ अवधि के लिए अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई और वृद्धि की संभावनाएं भी प्रभावित हुई।
कुल खर्च के प्रतिशत के रूप में पूंजीगत खर्च वित्त वर्ष 2004 के 31 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2014 में 16 प्रतिशत पर आ गया। श्वेत पत्र में कहा गया कि संप्रग सरकार के कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था में आपूर्ति श्रृंखला बहुत धीमी रही।
अंतराष्ट्रीय मौद्रिक फंड अधिकारियों और 2013 में कैबिनेट सचिव के बयानों का जिक्र करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि नियमों की अस्पष्टता के चलते आधारभूत ढांचे के लिए मंजूरी प्रक्रिया में देर होती थी तथा भ्रष्टाचार के कारण बड़ी परियोजनाओं में कानूनी जांच-पड़ताल में उलझी रहतीं और इस तरह उन्हें लागू करने की प्रक्रिया लंबी चलती। इसके उलट मौजूदा सरकार के पिछले दस वर्षों में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बहुत तेजी आई है। इससे सड़क, रेल, पत्तन ओर विमानन जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिली।
राजग सरकार के श्वेत पत्र में कोयला, दूरसंचार जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के संशाधनों के लिए आवंटन और बिजली व्यवस्था में सुधार पर प्रमुखता से प्रकाश डाला गया है।
पूर्ववर्ती सरकार की नीतियों पर हमला बोलते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि पिछली सरकार की गड़बडि़यों को दुरुस्त करने के लिए उसे कई सुधारात्मक कदम उठाए, ताकि प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता को बढ़ावा मिले। इसमें यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री के सहज बिजली हर घर के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए प्रत्येक गांव और घर बिजली से रोशन हो चुका है।