अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के ताजा अध्ययन के मुताबिक 2022 में लगातार दूसरे साल भारत में वास्तविक वेतन वृद्धि पॉजिटिव बनी हुई है। इससे कोविड-19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में रिकवरी के संकेत मिलते हैं।
तुर्की के साथ भारत एक मात्र देश है, जहां 2020 की महामारी के बाद लगातार दूसरे साल धनात्मक वृद्धि दर्ज की गई है।
‘वर्ल्ड इंप्लाइमेंट ऐंड सोशल आउटलुक’ नाम से हुए अध्ययन के मुताबिक ज्यादातर जी20 देशों में उच्च महंगाई दर के कारण वास्तविक वेतन में कमी आई है, भले ही बेरोजगारी दर कम और रोजगार में वृद्धि धनात्मक रही है।
बहरहाल वैश्विक स्तर पर देखें तो जिन देशों के 2023 तक के आंकड़े उपलब्ध हैं, उनमें सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि चीन और रशियन फेडरेशन में हुई है। जी20 के इन देशों में श्रम उत्पादकता वृद्धि सबसे ज्यादा रही है। वहीं ब्राजील में 6.9 प्रतिशत, इटली में 5 प्रतिशत, इंडोनेशिया में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
महंगाई को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान सहित कई दक्षिण एशियाई देशों में आयात में कटौती की कवायद की गई और बिजली की कमी देखी गई। इससे औद्योगिक उत्पादन प्रभावित हुआ।
इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने दक्षिण एशियाई क्षेत्र की वृद्धि में योगदान दिया है, जिसकी वजह निवेश में वृद्धि है।
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन से इस इलाके की कुल मिलाकर आर्थिक गणित प्रभावित हुई है। रिपोर्ट में संकेत दिया गया है कि 2024 में वैश्विक बेरोजगारी की दर 5.2 प्रतिशत पर पहुंचने की संभावना है, जो 2023 में 5.1 प्रतिशत थी।
विकसित अर्थव्यवस्थाओं में नौकरियों की कमी की वजह से यह अनुमान लगाया जा रहा है। साथ ही सभी आय वर्ग के देशों में श्रम बल हिस्सेदारी दर में गिरावट की संभावना है, जिसमें महिला श्रमिकों की हिस्सेदारी में आई कमी उल्लेखनीय होगी।