अमेरिकी टैरिफ ने पीतल नगरी मुरादाबाद के निर्यातकों की मुश्किलें बढा दी हैं। अमेरिकी खरीदार संकट में फंसे मुरादाबाद के निर्यातकों की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। मुरादाबाद के निर्यातक और लघु उद्योग भारती की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष अजय गुप्ता ने कहा कि मुरादाबाद के निर्यातकों के लिए 60 से 70 फीसदी ऑर्डर अमेरिका से मिलते हैं। टैरिफ लगने से पहले मुश्किल से 10 फीसदी भी ऑर्डर नहीं मिले। टैरिफ के बाद अमेरिका के खरीदारों ने ऑर्डर होल्ड कर दिए हैं क्योंकि टैरिफ के कारण भारतीय उत्पाद महंगे हो गए हैं। कई ने पहले के ऑर्डर रद्द कर दिए हैं, जिन्होंने होल्ड पर रखे हैं, उनसे बात करने पर वे 15 से 20 फीसदी छूट( डिस्काउंट) देने को कह रहे हैं।
द हैंडीक्राफट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव सतपाल मलिक कहते हैं कि इतनी छूट देने पर मुनाफा तो दूर उलटा नुकसान होगा। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच 10 से 15 फीसदी मार्जिन मुश्किल से मिल पाता है। अब अगर अगले एक महीने के दौरान ऑर्डर नहीं मिले तो इस साल मुरादाबाद से निर्यात 60 फीसदी से अधिक घट सकता है। गुप्ता ने कहा कि इस साल मुरादाबाद के हैंडीक्राफट निर्यातकों को 2500 से 3000 करोड़ रुपये की चपत लग सकती है। अमेरिका से होने वाले नुकसान की भरपाई यूरोप से नहीं हो सकती।
निर्यातकों के साथ ही पीतल उद्योग के कर्मचारियों की हालत भी खराब है। फैक्टरियों में काम ठप होने से वे खाली बैंठे हैं। ऐसे में अस्थाई कर्मचारियों को निकालने की नौबत आ गई है। इस उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर 3 से 4 लाख लोग जुडे हैं। अमेरिकी टैरिफ से इन लोगों के रोजगार पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
मुरादाबाद के निर्यातकों ने अमेरिकी संकट से बचाने के लिए सरकार से आर्थिक मदद करने की गुहार लगाई है। सतपाल ने कहा कि निर्यातकों को इस संकट से उबारने के लिए सरकार को 1990 की तरह निर्यातकों को दी जाने वाली सुविधाएं फिर से देने की जरूरत है। सरकार को 10 फीसदी कैश इंसेंटिव देना चाहिए। सरकार कर्ज पर गारंटी तो दे रही है। जिससे मुश्किलें कम नहीं होगी। सरकार को गारंटी की बजाय इंटरेस्ट सबवेंशन स्कीम का लाभ देना चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि सरकार को निर्यातकों को ड्यूटी ड्रॉ बैक की सुविधा देनी चाहिए। निर्यातकों का कहना है कि अगर सरकार आर्थिक मदद करती है तो निर्यातक खरीदारों द्वारा मांगी जा रही छूट उन्हें देकर कम से कम अपने कारोबार को बचा सकते हैं, भले उन्हें मुनाफा न हो। लेकिन उनका माल तो निकल जाएगा और कर्मचारियों को वेतन देने में आसानी होगी।