अमेरिका ने भारत प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (IPEF) के देशों के बीच किसी कंपनी के खास मुद्दों की जांच के लिए त्रिपक्षीय श्रम समिति की जांच का प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्तावित समिति में सरकार, नियोक्ता और श्रम संगठन का एक-एक प्रतिनिधि होगा। इसका ध्येय उपभोक्ताओं में श्रम नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि ऐसी कंपनियों के उत्पादों और सेवाओं का इस्तेमाल नहीं किया जाए।
इस मामले के जानकार एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हालांकि अतंरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में सभी सदस्य देशों के लिए यह त्रिपक्षीय तंत्र पहले से ही स्थापित है। भारत सरकार का विश्वास है कि आईपीईएफ के तहत ही ऐसा ढांचा स्थापित होने से दोहरीकरण होगा। इस मामले पर उद्योग की राय मांगी गई है।’
IPEF के तहत श्रम से जुड़े अन्य मुद्दे भी शामिल किए गए हैं। इन मुद्दों में कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए श्रम बल के विकास का संक्रमण, कौशल को फिर से विकसित करना और कौशल को आगे बढ़ाना, स्मार्ट निर्माण तकनीकों का कौशल बढ़ाना, कुशल श्रमिकों व विशेषज्ञों के आसानी से आवाजाही के लिए द्विपक्षीय समझौते शामिल हैं।
अमेरिका ने कुशल श्रमिकों व परामर्श के लिए कारोबार-अकादमिक गठजोड़ का प्रस्ताव पेश किया है। आईपीईएफ के सदस्य विश्व के सकल घरेलू उत्पाद के 40 फीसदी और विश्व व्यापार के 28 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं।