अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा व्यापार में भागीदार देशों पर शुल्क लगाने से वैश्विक अनिश्चितता बढ़ रही है इससे भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार में संभावित मंदी की चिंता बढ़ गई है जिसका असर भारत की आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ सकता है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि आर्थिक समीक्षा में अनुमानित 6.3 से 6.8 फीसदी की निचली सीमा के आसपास रहेगी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी के दायरे में रहेगी। हालांकि इसके निचली सीमा के करीब रहने की ज्यादा संभावना है।’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मांग में कमी के बीच अमेरिका में आयकर में कटौती का वादा कुछ हद तक राहत प्रदान कर सकता है। उन्होंने कहा, ‘ईंधन की कम कीमत भी भारत के विकास के लिए अच्छी खबर है।’
बीते शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड 8 फीसदी फिसलकर 65 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया था। क्रूड का यह दाम करीब 4 साल में सबसे कम है। गोल्डमैन सैक्स ने 2025 के लिए ब्रेंट क्रूड का औसत मूल्य अनुमान घटकार 69 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है।
जेपी मॉर्गन चेस ऐंड कंपनी ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के इस साल मंदी में जाने के आसार हैं। बैंक में अमेरिका के मुख्य अर्थशास्त्री माइकल फेरोली ने शुक्रवार को कहा था, ‘हमें उम्मीद है कि शुल्क के कारण अमेरिका की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में कमी आएगी और पूरे वर्ष के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर -0.3 फीसदी रहने का अनुमान है जो पहले 1.3 फीसदी थी।’ सिटी ने अमेरिकी की वृद्धि अनुमान को घटकर 0.1 फीसदी और यूबीएस ने 0.4 फीसदी कर दिया है।
अर्थशास्त्रियों ने अनुमान लगाया है कि अमेरिकी शुल्क के कारण वित्त वर्ष 2026 में भारत की वृद्धि दर पर 30 से 60 आधार अंक का असर पड़ेगा।
एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के लिए उनके 6.6 फीसदी वृद्धि अनुमान में 30 आधार अंक की गिरावट का जोखिम है। उन्होंने कहा, ‘हमारा अनुमान घरेलू मांग की स्थिति में सुधार पर काफी हद तक निर्भर है। इसे आगे बढ़ाने के लिए मौद्रिक और राजकोषीय समायोजन दोनों को बढ़ाने की आवश्यकता होगी। घरेलू मांग में मजबूत सुधार नहीं हुआ या वैश्विक अर्थव्यवस्था में अधिक गंभीर मंदी आई तो हमें वित्त वर्ष 2026 के लिए अपने वृद्धि दर अनुमान को काफी कम करना होगा।’
ट्रंप के जवाबी शुल्क की घोषणा से पहले वित्त मंत्रालय द्वारा जारी ताजा मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भू-राजनीतिक तनाव, व्यापार नीतियों में बढ़ती अनिश्चितता, अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों कीमतों और वित्तीय बाजार में अस्थिरता वृद्धि की संभावना के लिए महत्त्वपूर्ण जोखिम पैदा करती है। इसमें कहा गया है, ‘हालांकि निजी क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ाता है तो जोखिमों पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यक्तिगत आयकर ढांचे में बदलाव से मध्य वर्ग के पास खर्च करने योग्य अधिक आय होगी जिससे खपत मांग में सुधार होने की उम्मीद है।