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मई में कम हो गया व्यापार घाटा

दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने की वजह से निर्यात मई में 2.17 फीसदी घट गया

Last Updated- June 16, 2025 | 11:19 PM IST
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देश से होने वाला निर्यात इस साल मई में 2.17 फीसदी घटकर 38.73 अरब डॉलर रहा। निर्यात में यह गिरावट मुख्य रूप से दुनिया भर में कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने की वजह से हुई है। वाणिज्य विभाग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोलियम, कोयले एवं सोने के आयात में कमी के कारण मई में आयात भी 1.6 फीसदी घटकर 60.61 अरब डॉलर रहा। इसीलिए अप्रैल में 26.42 अरब डॉलर तक पहुंचने के बाद व्यापार घाटा मई में 21.88 अरब डॉलर रह गया। पिछले साल मई में व्यापार घाटा 22 अरब डॉलर था।
वस्तु निर्यात में गिरावट के बावजूद अमेरिका को निर्यात में तेजी आई और मई में यह 17 फीसदी बढ़कर 8.83 अरब डॉलर हो गया। निर्यातकों ने अमेरिका द्वारा जवाबी शुल्क पर 90 दिनों की रोक के कारण निर्यात को आगे बढ़ाया। अमेरिकी प्रशासन ने भारत पर 26 फीसदी जवाबी शुल्क लगाया था मगर उसे टाले जाने के कारण फिलहाल भारतीय निर्यातकों को 10 फीसदी का बेसलाइन शुल्क ही देना पड़ रहा है।
निर्यात की ताकत का पता पेट्रोलियम और रत्नाभूषण निर्यात के आंकड़े हटाने के बाद चलता है। इन्हें हटाने के बाद निर्यात में 6.9 फीसदी वृद्धि हुई और यह 30.71 अरब डॉलर रहा। वृद्धि को इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं (54.1 फीसदी), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (16 फीसदी), ड्रग्स एवं फार्मास्यूटिकल्स (7.4 फीसदी) और रेडीमेड परिधान (11.35 फीसदी) से बल मिला। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि व्यापार पर मंडरा रही वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘भारत का वस्तु व्यापार घाटा अप्रैल के 26.4 अरब डॉलर से घटकर 21.9 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले साल मई से भी कुछ कम है। इससे वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में चालू खाते का घाटा करीब 13 अरब डॉलर यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.3 फीसदी पर सिमटने की उम्मीद है। अगर वित्त वर्ष के बचे महीनों में कच्चे तेल की औसत कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहती है तो वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा जीडीपी के 1.2 से 1.3 फीसदी के करीब रह सकता है।’
नायर ने कहा कि मई में खास तौर पर अमेरिका को निर्यात में 16.9 फीसदी की दमदार वृद्धि हुई है, जो कैलेंडर वर्ष के पहले चार महीनों में औसतन 28 फीसदी की वृद्धि के बाद हुई क्योंकि जवाबी शुल्क में स्थगन के बीच इस तरह का निर्यात बरकरार रहा।
भारतीय निर्यात महासंघ (फियो) के अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि व्यापार के हालिया आंकड़े बताते हैं कि भारत का सेवा क्षेत्र कितना शादार प्रदर्शन कर रहा है। इसने कमजोर वैश्विक मांग, भू-राजनीतिक तनाव और उच्च ब्याज दरों की चुनौतियों के खिलाफ ढाल के तौर पर काम किया है। उन्होंने कहा, ‘निर्यातक भी अब मुश्किल वैश्विक माहौल में ढल रहे हैं। माल की आवाजाही में रुकावट के बाद भी खास तौर पर पश्चिम एशिया में निर्यात वृद्धि बनाए रखना बताता है कि यह क्षेत्र कितना चुस्त है और नीतियों से उसे कितना सहारा मिल रहा है।’ उन्होंने कहा कि आयात में गिरावट देश के भीतर मांग में कमी और दुनिया भर में जिंसों की कीमतों में नरमी का संकेत है।
मई में सेवा निर्यात 9.3 फीसदी बढ़कर 32.39 अरब डॉलर रहा। सेवा आयात में 1.7 फीसदी वृद्धि हुई और यह 17 अरब डॉलर रहा। इस तरह 15.25 अरब डॉलर का अधिशेष रहा। मगर मई के लिए सेवा व्यापार के आंकड़े अनुमानित है, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए जाने के बाद बदला जाएगा।

First Published - June 16, 2025 | 10:41 PM IST

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