मध्य प्रदेश शराब की बिक्री पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाले राज्यों की फेहरिस्त में सबसे नया नाम है। मगर देश में शराबबंदी का इतिहास कुछ अजीब रहा है और उसे लागू करने का तरीका तो और भी अजीब रहा है। गुजरात और पिछले नौ साल से बिहार ही ऐसे राज्य हैं, जहां शराबबंदी लगातार जारी है। हरियाणा में जुलाई 1996 में शराबबंदी लागू की गई। करीब 32 महीने बाद उसी गठबंधन सरकार ने इसे खत्म कर दिया, जिसने लगाया था। वह सरकार थी बंसी लाल के नेतृत्व वाली हरियाणा विकास पार्टी और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार। आंध्र प्रदेश में भी 16 जनवरी, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन टी रामाराव ने शराब पर रोक लगा दी थी। यह शराबबंदी 26 महीने तक चली और एनटीआर के ही दामाद एन चंद्रबाबू नायडू ने उसे खत्म कर दिया।
मगर अरक (एक स्थानीय शराब) पर 1993 में लगाया गया के विजय भास्कर रेड्डी सरकार का प्रतिबंध अब भी जारी है। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने 1 अप्रैल, 2016 को शराबबंदी लागू की थी। जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर का दावा है कि इस प्रतिबंध के कारण राज्य को सालाना 20,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति हो रही है। उनका कहना है कि इस रकम का इस्तेमाल प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने में किया जा सकता है।
मिजोरम ने 1997 में शराबबंदी की थी, जिसे 2014 में हटा लिया गया। उसके बाद 2019 में एक बार फिर शराब बंद कर दी गई मगर 2022 में राज्य ने स्थानीय उत्पादों से बनी वाइन बेचने की इजाजत दे दी। नागालैंड में 1989 से ही शराबबंदी लागू है मगर वहां शराब की तस्करी जमकर होती है। मणिपुर के कुछ इलाकों में भी शराब की बिक्री पर रोक है। उत्तराखंड में भी तीर्थ स्थल वाले शहरों और कस्बों में शराबबंदी चल रही है।