facebookmetapixel
₹9,975 तक के टारगेट! नतीजों के बाद Bajaj Auto पर 4 ब्रोकरेज हाउसों की राय सामने आईLenskart IPO Listing: ₹390 पर लिस्ट हुए शेयर, निवेशकों को नहीं मिला लिस्टिंग गेनराशन कार्ड के लिए सरकारी दफ्तर जाने की जरूरत नहीं, बस ये ऐप डाउनलोड करेंQ2 results today: ONGC से लेकर Vodafone Idea और Reliance Power तक, आज इन कंपनियों के आएंगे नतीजेBihar Elections 2025: हर 3 में 1 उम्मीदवार पर है आपराधिक मामला, जानें कितने हैं करोड़पति!₹70 तक का डिविडेंड पाने का आखिरी मौका! 11 नवंबर से 10 कंपनियों के शेयर होंगे एक्स-डिविडेंडGroww IPO Allotment Today: ग्रो आईपीओ अलॉटमेंट आज फाइनल, ऐसे चेक करें ऑनलाइन स्टेटस1 अक्टूबर से लागू Tata Motors डिमर्जर, जानिए कब मिलेंगे नए शेयर और कब शुरू होगी ट्रेडिंगStock Market Update: शेयर बाजार की पॉजिटिव शुरूआत, सेंसेक्स 200 से ज्यादा अंक चढ़ा; निफ्टी 25550 के करीबअगर अमेरिका ने Google-Meta बंद किए तो क्या होगा? Zoho के फाउंडर ने बताया भारत का ‘Plan B’

गरीबी की नई रेखा तय करने की जरूरतः देवराय

नीति आयोग ने इस वर्ष फरवरी में दावा किया था कि देश में गरीबी वर्ष 2022-23 में घटकर 5 प्रतिशत से नीचे रह गई है।

Last Updated- June 19, 2024 | 11:48 PM IST
Economic Survey 2024: 13.5 crore Indians came out of multidimensional poverty, better performance in villages Economic Survey 2024: बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले 13.5 करोड़ भारतीय, गांवों में बेहतर प्रदर्शन

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष विवेक देवराय ने कहा है कि देश में गरीबी एवं पिछड़ेपन का आकलन करने के लिए एक नई गरीबी रेखा का निर्धारण करना जरूरी हो गया है। देवराय ने कहा कि सुरेश तेंडुलकर समिति के अनुमान एक दशक पुराने हैं और बहु-आयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई) पूरी तरह गरीबी रेखा नहीं माना जा सकता है।

देवराय ने बुधवार को सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय द्वारा आयोजित एक सम्मेलन में हाल में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (एचसीईएस) पर ये बातें कहीं। देवराय ने पूछा कि क्या ये नवीनतम आंकड़े नई गरीबी रेखा के निर्धारण के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘देश में अब भी तेंडुलकर समिति से इतर कोई आधिकारिक गरीबी रेखा नहीं है। रंगराजन समिति की रिपोर्ट औपचारिक रूप से कभी स्वीकार नहीं हुई और एमडीपीआई भी पूरी तरह गरीबी रेखा को परिभाषित नहीं करता है। इन तथ्यों पर विचार करने के बाद क्या हमें एक नई गरीबी रेखा निर्धारित करनी चाहिए जिसके लिए एचसीईएस आंकड़े इस्तेमाल किए जा सकें।‘

नीति आयोग ने इस वर्ष फरवरी में दावा किया था कि देश में गरीबी वर्ष 2022-23 में घटकर 5 प्रतिशत से नीचे रह गई है। आयोग ने 2022-23 के एसीईएस आंकड़ों के आधार पर यह दावा किया था। वर्तमान गरीबी रेखा प्रोफेसर सुरेश तेंडुलकर की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर आधारित है।

समिति ने दिसंबर 2009 में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। समिति के अनुमानों के अनुसार वर्ष 1993-94 और 2004-05 के दौरान प्रति वर्ष गरीबी में 0.74 प्रतिशत अंक औसत दर से कमी आई। समिति के अनुसार 2004-05 और 2011-12 के बीच यह प्रति वर्ष 2.18 प्रतिशत अंक दर से कम हुई।

First Published - June 19, 2024 | 11:19 PM IST

संबंधित पोस्ट