राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) में शामिल होने वाले औपचारिक क्षेत्र के कर्मचारियों की संख्या अक्टूबर में घटकर 4 माह के निचले स्तर पर आ गई है। शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि इस माह के दौरान गिरावट की प्राथमिक वजह कॉर्पोरेट सेक्टर के कर्मचारियों द्वारा इसकी स्वीकार्यता घटना है।
आंकड़ों से पता चलता है कि कॉरपोरेट सेक्टर, केंद्र व राज्य सरकारों के कर्मचारियों के नए मासिक सबस्क्राइबरों की कुल संख्या 3.2 प्रतिशत गिरकर अक्टूबर में 79,947 रह गई है, जो सितंबर में 73,318 थी। इसके पहले जून 2023 में एनपीएस में 54,715 नए सबस्क्राइर जुड़े थे।
कॉरपोरेट कर्मचारियों के लिए एनपीएस की स्वीकार्यता स्वैच्छिक प्रकृति की है और इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों, प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ अन्य कर्मचारी शामिल होते हैं।
माह के दौरान इस क्षेत्र से एनपीएस में शामिल होने वालों की संख्या करीब 10 प्रतिशत घटकर 10,341 रह गई है, जो इसके पहले महीने में 11,421 थी।
इसके पहले बिजनेस स्टैंडर्ड ने खबर दी थी कि कॉरपोरेट सेग्मेंट में हाल के महीनों में गिरावट आई है क्योंकि वित्त वर्ष 24 में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 7 लाख रुपये करने की घोषणा की गई थी। इसकी वजह से इस वेतनमान में शामिल कर्मचारियों को कर बचाने के लिए एनपीएस में शामिल होने की जरूरत नहीं रह गई।
एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘सामान्यतया कॉरपोरेट श्रेणी के तहत लोग कर लाभ के लिए एनपीएस में शामिल होते हैं। लोग इस योजना को दीर्घावधि पेंशन या बचत के तरीके के बजाय इसे कर बचाने के उपाय के रूप में अपनाते हैं। इसलिए जब वित्त मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में कर छूट की सीमा बढ़ाने की घोषणा की तो इस आय वर्ग में आने वाले लोगों के पास एनपीएस के तहत पंजीकरण को लेकर कोई आकर्षण नहीं रहा।’
केंद्र सरकार ने अपने सभी नए कर्मचारियों के लिए एनपीएस अनिवार्य कर दिया है, इसलिए इस आंकड़े को केंद्र के स्तर पर नई भर्तियो के आंकड़े के रूप में भी इसे देखा जाता है।
केंद्र सरकार के नए सबस्क्राइबरों की संख्या अक्टूबर में थोड़ी घटकर 18,780 रह गई है, जो पिछले महीने 18,937 थी।
इसी तरह से राज्य संवर्ग में अक्टूबर में एनपीएस में 41,826 नए सबस्क्राइबर शामिल हुए हैं, जबकि सितंबर में स्टेट कंपोनेंट में 42,960 कर्मचारी शामिल हुए थे।
बहरहाल कुछ राज्यों जैसे राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड और पंजाब ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) लागू करने का फैसला किया है, ऐसे में एनपीएस को राज्य सरकार के स्तर पर नई भर्तियों के आंकड़े के रूप में नहीं देखा जा सकता है।
कुल नए सबस्क्राइबरों में से 18 से 28 साल के युवा वर्ग के सबस्क्राइबरों की हिस्सेदारी मामूली बढ़कर अक्टूबर में 49.5 प्रतिशत हो गई है, जो सितंबर में 48.7 प्रतिशत थी।
यह महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस आयु वर्ग में आने वाले ज्यादातर लोग नौकरियों के बाजार में पहली बार आने वाले होते हैं और इससे नौकरियों के बाजार में तेजी का पता चलता है।
एनपीएस का प्रबंधन पेंशन कोष नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) करता है। यह अंशदान के आधार पर चलता है। इसके सबस्क्राइबर और नियोक्ता दोनों बराबर धनराशि पेंशन खाते में जमा करते हैं।