मई के अंत में केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा घटकर वित्त वर्ष 24 के 17.87 लाख करोड़ का 11.8 प्रतिशत रह गया है, जो पिछले साल की समान अवधि में 12.3 प्रतिशत था। लेखा महानियंत्रक (CGA) के आंकड़ों से यह सामने आया है।
कुल मिलाकर देखें तो वित्त वर्ष 24 के पहले 2 महीने के दौरान राजकोषीय घाटा मामूली बढ़कर 2.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2 लाख करोड़ रुपये था। राजकोषीय घाटा सराकर के व्यय और आमदनी के बीच का अंतर होता है।
वित्त मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2024 में राजकोषीय घाटे को पिछले वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 प्रतिशत से घटाकर 5.9 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।
पूंजीगत व्यय
वित्त वर्ष 2024 के पहले दो महीनों में यह वित्त वर्ष 2024 के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 16.8 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की अवधि की तुलना में 57 प्रतिशत अधिक है।
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वित्त वर्ष 2024 की समान अवधि में राजस्व व्यय लक्ष्य का 13.1 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में 3 प्रतिशत अधिक है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से राज्यों को जून में कर का दूसरा किस्त जारी किया गया। इससे वित्त वर्ष 2024 में बकाया देनदारी अपेक्षाकृत कम रहेगी और राज्यों को पूंजीगत खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सीजीए के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 के अप्रैल-मई के लिए केंद्र का 6.26 लाख करोड़ रुपये का कुल व्यय उसके 45.03 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य का 13.9 प्रतिशत था।