रुपया गुरुवार को 33 पैसे की गिरावट के साथ 82.51 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। डीलरों के मुताबिक जुलाई में अमेरिका में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की वृद्धि की आशंका के कारण रुपये में गिरावट आई। यूएस फेडरल ओपन मार्केट कमेटी की जून की बैठक के जारी ब्योरे ने इस वृद्धि का सुझाव दिया। तेल के आयातकों के डॉलर का स्टॉक करने के कारण रुपये पर दबाव और बढ़ गया।
इस महीने रुपये में 0.35 फीसदी की सबसे ज्यादा गिरावट आई। रुपये में जून में 0.45 फीसदी की गिरावट आई थी। रुपया बुधवार को 82.23 प्रति डॉलर बंद हुआ था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘तेल कंपनियों की डॉलर की मांग बढ़ाने के कारण रुपये में 33 पैसे की गिरावट आई। इससे डॉलर उच्च स्तर 82.55 रुपये के स्तर पर पहुंच गया। फेड के आक्रामक रुख अपनाने के कारण निर्यातकों ने फिर रक्षात्मक रुख अपना लिया है।’
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उन्होंने कहा, ‘रुपया 82.80-90 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर रह सकता है। हालांकि RBI डॉलर की बिक्री के लिए कदम उठा सकता है।’