India GDP growth forecast 2026: वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद दमदार घरेलू खपत और निवेश मांग के दम पर वित्त वर्ष 2026 में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.5 फीसदी की वृद्धि होने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा एवं वित्तीय समिति (आईएमएफसी) को यह जानकारी दी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भारत के वृद्धि अनुमान में की गई कटौती के बीच यह बात कही है।
सीतारमण ने वाशिंगटन में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की सलाहकार संस्था को सौंपे गए एक लिखित बयान में कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण वित्त वर्ष 2026 में भारत की मुद्रास्फीति करीब 4 फीसदी पर स्थिर रहने की संभावना है। वह पहलगाम आतंकी हमले के कारण समय से पहले भारत लौट गईं। वित्त मंत्री ने कहा, ‘आगे देखने पर पता चलता है कि तमाम उथल-पुथल के बावजूद भारत की वृद्धि रफ्तार स्थिर रहने की उम्मीद है क्योंकि इसके बुनियादी वाहक- खपत और निवेश मांग- घरेलू हैं। बाहरी मोर्चे पर भी सेवाओं के निर्यात में मजबूती बरकरार रहने की उम्मीद है। इसके अलावा कच्चे तेल में नरमी मुद्रास्फीति के लिहाज से अच्छी खबर है। इसलिए 2025-26 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.5 फीसदी और मुद्रास्फीति 4 फीसदी रहने की उम्मीद है।’
ताजा आर्थिक समीक्षा में भी अनुमान लगाया गया था कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी के दायरे में रहेगी। मगर पिछले सप्ताह आईएमएफ ने वैश्विक अनिश्चितता एवं आर्थिक कमजोरी का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के अपने वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया था। विश्व बैंक ने भी भारत के लिए अपने वृत्रि अनुमान को 40 आधार अंक घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है।
सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2026 के केंद्रीय बजट में कर राहत दिए जाने से भी निजी खपत को बढ़ावा मिलेगा और निजी निवेश को रफ्तार मिलेगी। उन्होंने कहा, ‘निवेश गतिविधियों में तेजी पहले से ही दिख रही है। उच्च क्षमता उपयोगिता बरकरार रहने, बुनियादी ढांचे में खर्च पर सरकार का जोर और बैंकों एवं कंपनी जगत के दमदार बहीखातों के अलावा वित्तीय सुगमता से भी सुधार को रफ्तार मिलेगी।’
वित्त मंत्री ने कहा कि जलाशय में पर्यापत जल उपलब्ध होने और जबरदस्त उपज के कारण वित्त वर्ष 2026 के दौरान कृषि क्षेत्र में भी दमदार वृद्धि के आसार दिख रहे हैं।
सीतारमण ने कहा कि शुद्ध सेवाओं और धन प्रेषण प्राप्तियों के अधिशेष में बने रहने की उम्मीद है। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान व्यापार घाटे की आंशिक भरपाई हो जाएगी। उन्होंने कहा, ‘वित्त वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए चालू खाते का घाटा स्थिर स्तर के दायरे में रहने का अनुमान है। अप्रैल से जनवरी 2024-25 के दौरान सकल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) दमदार रहने के आसार हैं। इससे भारत की मजबूत वृहद आर्थिक बुनियादी बातों का पता चलता है।’
प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं के बीच रुपये में कम उतार-चढ़ाव के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के बाहरी क्षेत्र में मजबूती बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगातार बढ़ती आर्थिक अनिश्चितता और नकारात्मक जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।