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ब्याज दरों की सबसे ज्यादा मार छोटे एवं मझोले उद्योगों पर

Last Updated- December 07, 2022 | 2:03 PM IST

महंगाई रोकने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए, लेकिन वे कदम ऐसे नहीं हो कि देश के आर्थिक विकास की गति कम हो जाए।


उन्होंने कहा कि छोटे एवं मध्यम उद्यमी या कारोबारी कर्ज के लिए स्थानीय बैंक पर पूर्ण रूप से निर्भर होते हैं। ऐसे में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से उनके लिए कर्ज लेना मुश्किल हो जाएगा। और लागत बढने से वे बड़े उद्यमियों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगे। इससे उनका कारोबार कम होगा।
बीसी भरतिया, राष्ट्रीय अध्यक्ष, कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स, नई दिल्ली

महंगाई की वजह से पहले ही कई चीजों की कीमत बढ़ गयी है जिससे बाजार प्रभावित हुआ है। फिर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी से कोई भी छोटा उद्यमी अपने कारोबार का विस्तार नहीं करेगा। उनके कारोबार के साथ उनके लाभ की मात्रा भी कम होगी।
सतीश गर्ग, प्रमुख, लोहा व्यापार एसोसिएशन, नई दिल्ली

उत्तर प्देश में छोटे और मझोले कारखानों के मालिकों के लिए बीते एक साल से कच्चे माल के दामों में आई भारी तेजी और कर्ज का लगातार मंहगा होते जाना ही सबसे बड़ी समस्या बनी है। उनका कहना है कि बड़े उद्योग के लिए कर्ज के और रास्ते खुले हैं वो विदेशों से भी फंड पा जाते हैं पर छोटे कारखाने वाले कहां जाएं। उत्तर प्देश में 2002 में हुए सर्वे के मुताबिक 15 लाख माइक्रो, लघु और मझोले उद्यमी हैं। जबकि लघु और मझोली इकाइयां जो कि कार्य पूंजी के लिए बैंक के पास जाती हैं उनकी संखया 22000 है।
डी एस वर्मा, कार्यकारी निदेशक, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन,लखनऊ

कर्ज मंहगा होने से कार्यपूंजी का उपलब्धता प्रभावित होगी और ऐसे में पहली मार छोटे और मझोले उद्योगों पर ही पड़ेगी। उनका कहना है कि मंदी के इस दौर में कम से कम कर्ज तो मंहगा नही करना चाहिए।
रजत, मालिक,
सिनर्जी फैब्रीकेट, वाराणसी

इन बढ़ी हुई ब्याज दरों का सबसे ज्यादा प्रभाव स्माल स्केल इंड्रस्टीज पर ही पडेग़ा क्योंकि हमारा कारोबार लोन पर ही चलता है। अब हमें लोन के लिए ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा।
एम.आर.काम्बडे ,अध्यक्ष,
चैंबर ऑफ स्मॉल स्केल इंड्रस्टीज एसोसिएशन, मुंबई

बढ़ती ब्याज दरों की वजह से उद्योग पर असर पड़ेगा लेकिन हम लागत घटाकर कीमतों में नियंत्रम कर सकते हैं। हालांकि अब स्माल स्केल इंड्रस्टीज को दिए जाने वाले लोन में सरकार से कुछ छूट की अपेक्षा कर रहे थे।
राजेंद्र वैश्य , अध्यक्ष ,ऑल इंडिया स्मॉल स्केल ब्राइट बार मैन्युफैक्चर एसोसिएशन, मुंबई

छोटे ओर मंझोले उद्योग तो पहले से ही महंगाई खासकर कच्चे मालों की कीमतों में बढ़ोतरी से परेशान हैं और उस पर से आरबीआई द्वारा रेपो रेट एवं नकद आरक्षी अनुपात में बढ़ोतरी किए जाने से से निश्चित तौर पर छोटे और मंझोले उद्योगों को झटका लगेगा। बैंकों द्वारा पुन: पीएलआर में बढ़ोतरी होगी जिसका सीधा असर इन उद्योगों पर पड़ेगा ।
अश्विनी कोहली, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पंजाब चैम्बर ऑफ स्मॉल एक्सपोर्ट्स,चंडीगढ़

 रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में आधी फीसदी की बढ़ोतरी किए जाने से बैंक भी अपने पीएलआर में बढ़ोतरी किए जाने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। भारत में ब्याज दर अन्य देशों जैसे ब्राजील और रूस के मुकाबल कहीं ज्यादा है और फिर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी से स्थिति और गंभीर हो जाएगी। मौजूदा दौर में हस्तकरघा उद्योग में  करीब 1,000 करोड़ रुपये की जरूरत है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी से पूंजी की और कमी होगी।
शरद अग्रवाल, संयोजक (हस्तकरघा पैनल) इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल,चंडीगढ़

रेपो दरों में इजाफे ने हमारे पास अब सिवाय ऊंची दरों पर कर्ज लेने के सिवा कोई रास्ता नही छोड़ा है। जबकि दूसरी तरफ अगर हमें कंपीटिशन में बने रहना है तो फिर लागत ज्यादा होने के बावजूद भी हमें कम कीमत पर ही सामान बेचने होंगे।
सत्य प्रकाश गुप्ता, निदेशक शिवा पॉलीप्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड, कानपुर 
 
रिजर्व बैंक के इस कदम से उद्योग और बैंक दोनो प्रभावित होंगे। इस कदम को अगर दोनों सेक्टरों के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नही होगी। दरों में हुए बार बार के इजाफे पहले से ही मार्जिन दवाब को झेल रहे एसएमसई को मार रहे हैं और भारत को एक विश्व स्तर के औद्योगिक हॉटस्पॉट बनाने की बात भी बेमानी लग रही है।  जबकि यह मालूम होना चाहिए कि एसएमई कुल घरेलू उत्पादन में 40 फीसदी जबकि कुल निर्यात में 50 फीसदी की भागीदारी करता है।
डॉ. ज्ञान प्रकाश,वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज

First Published - July 30, 2008 | 10:27 PM IST

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