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वैश्विक अर्थव्यवस्था के बुरे दिन बीत गए : RBI

Last Updated- January 27, 2023 | 10:06 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि वर्ष 2023 में दुनिया भर की आर्थिक वृद्धि में खासी गिरावट की आशंका है लेकिन विकास और मुद्रास्फीति दोनों के लिहाज से वैश्विक अर्थव्यवस्था का बुरा दौर अब पीछे छूटता प्रतीत हो रहा है।

दुबई में एफआईएमएमडीए-पीडीएआई के 22वें वार्षिक सम्मेलन में दास ने कहा, ‘कुछ महीने पहले वृद्धि के लिहाज से भारी और अधिक व्यापक मंदी की आशंका जताई जा रही थी मगर अब हल्की-फुल्की मंदी की बात कही जा रही है।’

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के हालिया वैश्विक आर्थिक अनुमान के मुताबिक 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2.7 फीसदी रह सकती है, जो 2022 में 3.2 फीसदी थी। आरबीआई ने दिसंबर में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 6.8 फीसदी रह सकती है।

विभिन्न देशों में मुद्रास्फीति घटने के कारण केंद्रीय बैंक दरों में कम इजाफा करते या सिलसिला रोकते दिख रहे हैं मगर दास ने कहा कि वैश्विक मौद्रिक निकाय मुद्रास्फीति को गिराकर तय लक्ष्यों के करीब लाने की बात पर डटे हुए हैं। इसलिए संभावना यह भी है कि नीतिगत दरें लंबे अरसे तक ऊंची बनी रहें।

देसी अर्थव्यवस्था मजबूत

दास ने भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावनाओं से उम्मीद रखते हुए कहा कि चुनौतीपूर्ण और अनिश्चितता भरे वैश्विक माहौल के बीच देसी अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। उन्होंने कहा कि वित्तीय तंत्र मजबूत है और देसी बैंक और कंपनियां कोरोना से पहले के समय के मुकाबले बेहतर स्थिति में हैं।

दास ने नवंबर और दिसंबर में देश में महंगाई कम होने का स्वागत किया मगर आगाह किया कि मुख्य मुद्रास्फीति अब भी काफी ऊंची है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर में घटकर 5.72 फीसदी रही जो नवंबर में 5.88 फीसदी थी।

वित्तीय बाजार के संचालन पर दास ने कहा कि प्रगति के बावजूद कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। दास के अनुसार सेकंडरी मार्केट में सरकारी बॉन्डों की तरलता केवल कुछ प्रतिभूतियों और परिपक्वता अवधि वाले बॉन्डों तक केंद्रित है।

मुद्रा बाजार के बारे में दास ने कहा कि बड़ी कंपनियों को कम स्प्रेड का लाभ मिल रहा है लेकिन उचित और पारदर्शी मूल्य तय करने के लिए नियामकीय आवश्यकताओं के बावजूद छोटे ग्राहकों को इसका फायदा नहीं हो पा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘बाजार, खास तौर पर डेरिवेटिव बाजार में खुदरा सेगमेंट की पहुंच के लिए और सुधार करने की जरूरत है। इसी तरह सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों के लिए तरलता सुनिश्चित करने में सुधार लाना होगा।’ दास ने कहा कि 2022-23 में भारत का चालू खाते का घाटा सहज स्थिति में बना रहेगा।

First Published - January 27, 2023 | 10:06 PM IST

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