सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (पीएसई) की नई नीति, 2021 के तहत निजीकरण के लिए चुने जाने वाला पहला क्षेत्र दूरसंचार हो सकता है। बिज़नेस स्टैंडर्ड को एक अधिकारी ने बताया कि नीति आयोग की सिफारिश पर इसके लिए कई दौर की बैठकें की जा चुकी हैं।
केंद्र टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया (टीसीआईएल) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम लाने पर भी विचार कर रहा था। एक दूसरे अधिकारी ने बताया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के निजीकरण पर विचार हो सकता है, जो परामर्श सेवाओं में शामिल है और पहले से ही निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम करता है।
टीसीआईएल घरेलू और वैश्विक संस्थानों को परामर्श सेवाएं मुहैया कराती है और निजी क्षेत्र के साथ भी गठजोड़ किया है। प्रस्ताव पर अभी भी चर्चा की जा रही है क्योंकि केंद्र रणनीतिक क्षेत्रों में न्यूनतम उपस्थिति रखने की अपनी घोषित नीति की ओर बढ़ रहा है।
यहां तक कि पिछले साल बजट के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी घोषणा की थी कि दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक बीमा कंपनी का भी निजीकरण किया जाएगा ताकि सरकार अपनी नई निजीकरण नीति के प्रति प्रतिबद्धता दर्शा सके। केंद्र ने अभी तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को सक्षम करने के लिए कानून में बदलाव नहीं किया है।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक पीएसयू बीमाकर्ता के निजीकरण को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा अनुमोदित किया जाना बाकी है। अगर मौजूदा चर्चा सफल होती है तो इससे ऐसी स्थिति बन जाएगी कि एक दूरसंचार कंपनी का निजीकरण पहले किया जाएगा। 2021 में घोषित केंद्र की पीएसई नीति के अनुसार सरकार का लक्ष्य ऊर्जा, दूरसंचार, बिजली, बैंक और खनिज सहित रणनीतिक क्षेत्रों में न्यूनतम उपस्थिति बनाकर रखना है।
नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी की अध्यक्षता में अधिकारियों के समूह की समिति दूरसंचार विभाग के तहत सार्वजनिक उपक्रम में विनिवेश पर विचार करने के लिए कम से कम तीन बार बैठक कर चुकी है। नीति आयोग ने एक सेक्टोरल नोट तैयार किया है। दूरसंचार विभाग के तहत आने वाले पीएसयू, भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल), महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड (एमटीएनएल), भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल), टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (टीसीआईएल), आईटीआई लिमिटेड, सेंटर फॉर डेवलपमेंट और टेलीमैटिक्स और टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग सेंटर (टीईसी) हैं।
अधिकारियों ने समूह ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, फार्मास्यूटिकल्स विभाग और उर्वरक विभाग के तहत आने वाले पीएसयू के निजीकरण या बंद करने पर भी विचार किया है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले पीएसयू, गोवा एंटीबायोटिक्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स, एचएलएल लाइफकेयर, एचएलएल इन्फ्रा, टेक सर्विसेज और एचएलल बायोटेक हैं। हिंदुस्तान प्रीफैब, एनबीसीसी इंडिया, एनबीसीसी इंजीनियरिंग ऐंड कंसल्टेंसी, एनबीसीसी सर्विसेज, एचएससीसी, हिंदुस्तान स्टीलवर्क्स और आवास और शहरी विकास निगम आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के अधीन हैं। फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स, कर्नाटक एंटीबायोटिक्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स और राजस्थान ड्रग्स ऐंड फार्मास्यूटिकल्स आते हैं।
इस महीने की शुरुआत में बिज़नेस स्टैंडर्ड ने बताया था कि सरकार राष्ट्रीय केमिकल ऐंड फर्टिलाइजर्स, नैशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड और फर्टिलाइजर्स ऐंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड (एफएसीटी), भारतीय फर्टिलाइजर्स निगम के साथ कई अन्य फर्टिलाइजर पीएसयू के निजीकरण पर विचार कर रही है। एक अन्य उर्वरक पीएसयू, प्रोजेक्ट ऐंड डेवलपमेंट इंडिया लिमिटेड (पीडीआईएल) के निजीकरण की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है और केंद्र को इच्छुक पार्टियों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।