राज्य सरकारों ने बुधवार को केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) के 3 प्रतिशत से घटाकर वर्तमान में 2 प्रतिशत किए जाने से राजस्व में आई कमी की क्षतिपूर्ति के फार्मूले को स्वीकृति दे दी है।
नई दरें 1 मई से लागू होनी है। राजस्व में कमी के एवज में केंद्र सरकार, राज्यों को इस वित्त वर्ष में करीब 7000 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति देगी।राज्य के वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक बुधवार को हुई। समिति ने निर्णय किया कि केंद्र सरकार को वास्तविक क्षतिपूर्ति राज्यों को देना चाहिए।
यह क्षतिपूति वर्तमान में चल रही प्रवृत्ति या विकास के आकलन के आधार पर नहीं होना चाहिए। यह फैसला किया गया कि अगर राज्य सरकार 2 प्रतिशत सीएसटी दरों से 500 करोड़ रुपये इकट्ठा करती है, तो केंद्र को इतना ही पैसा राज्य को देना चाहिए। यह इसलिए कि अगर राज्य सरकार वास्तव में 4 प्रतिशत की दर से सीएसटी वसूलती है तो राज्यों का कर संग्रह 1000 करोड़ रुपये होगा।
वित्त मंत्रियों की उच्चाधिकार समिति के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दास गुप्त ने कहा राज्यों ने अपनी अनुशंसा को अंतिम रूप दे दिया है। सूत्रों ने कहा कि 20 अप्रैल तक सभी राज्यों के वित्त मंत्री इस मसले पर अपनी लिखित राय केंद्रीय वित्त मंत्री को दे देंगे।
सीएसटी दरें 2007-08 में कम करके 3 प्रतिशत किया गया था। इसमें 2008-09 में सफलतापूर्वक कमी करके 2 प्रतिशत कर दिया गया। इसे 2009-10 तक 1 प्रतिशत और इसके अगले साल इसे शून्य के स्तर तक लाया जाना है। पहले साल इसमें कमी किए जाने से राजस्व में 6000 करोड़ रुपये की कमी का अनुमान था।
2008-09 में यह घाटा बढ़कर 13,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इस घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र ने राज्य सरकारों को 33 सेवाओं पर कर लगाने की छूट दी है। बाद में वैट पर लेवी लगाने की भी छूट दी गई। इन करों से राज्य सरकारों को 6000 करोड़ रुपये का अनुमान था, लेकिन राज्यों ने केंद्र से 7000 करोड रुपये अतिरिक्त अनुदान मांगा है।
मूल्यवर्धित कर पर बने आधिकारिक पैनल ने कहा कि बढ़ती महंगाई की वजह से राज्य वैट की दरें बढ़ाने से परहेज कर रहे हैं। यद्यपि कुछ राज्यों ने सेस या अतिरिक्त कर लगाने का प्रस्ताव पेश किया है। वैट पैनल के अध्यक्ष दासगुप्ता ने संवाददाताओं को बताया ”अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए अगर वैट की दरें बढ़ाई गईं तो महंगाई और बढ़ेगी।
मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए राज्य के वित्त मंत्री वैट की दरें बढ़ाए जाने से परहेज कर रहे हैं।” सूत्रों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष से केंद्रीय बिक्री कर को तीन फीसदी से घटाकर दो फीसदी किए जाने के प्रस्ताव से राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए समझा जाता है कि राज्य सरकारें पूर्व में वैट की दरें बढ़ाने के लिए राजी हो गई थीं।
हालांकि राज्य के वित्त मंत्रियों ने वैट की दरें बढ़ाने से मना कर दिया और इस संबंध में लिए गए निर्णय से वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को अवगत करा दिया। समिति की संस्तुतियों पर अंतिम निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्रालय को लेना है, जो इससे भिन्न क्षतिपूर्ति फार्मूला बता रही है। राज्यों ने यह भी निर्णय लिया है कि आयात पर वैट लगाने का अधिकार मिलना चाहिए। इसी क्रम में केंद्र सरकार चाहती है कि राज्य सरकारें वैट की दरें बढ़ाएं, टेक्सटाइल्स और चीनी पर कर बढ़ाएं।