कोविड महामारी के बाद भारत से पेट्रोलियम और इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में वृद्धि हुई है जबकि श्रम से जुड़े क्षेत्रों जैसे रत्न व आभूषण, इंजीनियरिंग सामान और रेडिमेड वस्त्रों के निर्यात की वृद्धि दर घटी है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों का विश्लेषण किया। इससे जानकारी मिली कि रूस से सस्ता कच्चा तेल मिलने के कारण भारत के कुल निर्यात में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ी है।
वित्त वर्ष 20 में पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी 13.2 फीसदी थी। यह वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 21.1 फीसदी हो गई। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 20 के 3.7 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में 5.3 फीसदी हो गई। स्मार्टफोन कंपनियों जैसे ऐपल और सैमसंग की खेप बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्यात में बढ़ोतरी हुई।
हालांकि रत्न व आभूषण के निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 20 में 11.5 फीसदी थी और वित्त वर्ष 23 में गिरकर 8.5 फीसदी हो गई। इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात में भी गिरावट दर्ज की गई।
इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 20 में 25.1 फीसदी थी और यह गिरकर वित्त वर्ष 23 में 23.9 फीसदी हो गई। दवा उद्योग की हिस्सेदारी कोविड के पूर्व के स्तर से भी नीचे आ गई।
हालांकि दवा उद्योग ने वित्त वर्ष 21 में अच्छी खासी हिस्सेदारी 8.4 फीसदी हासिल की थी। इसका कारण यह था कि भारत की दवा कंपनियों ने वैक्सीन और जैनरिक दवाइयों की अतिरिक्त मांग को पूरा करने के लिए प्रयास किया था।
भारत के आयात में कच्चे पेट्रोलियम की हिस्सेदारी बढ़ी है। यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से अधिक मात्रा में सस्ता कच्चा तेल मंगाना शुरू कर दिया था। लिहाजा वित्त वर्ष 20 में जहां कच्चे पेट्रोलियम उत्पादों की कुल आयात में हिस्सेदारी 27.5 फीसदी थी, वह वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 29.3 फीसदी हो गई थी।
हालांकि भारत ने वैश्विक चुनौतियों के कारण गैर जरूरी वस्तुओं के आयात को निरुत्साहित किया था। इससे विदेश से मंगाए जाने वाले उत्पादों इलेक्ट्रानिक्स सामान (वित्त वर्ष 20 में 11.5 फीसदी और वित्त वर्ष 23 में 10.8 फीसदी) और सोने (वित्त वर्ष 20 में 5.9 फीसदी और वित्त वर्ष 23 में 4.9 फीसदी) में गिरावट आई।
कोयले के आयात में खासी बढ़ोतरी हुई। कोयले के आयात की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 20 के 4.7 फीसदी से बढ़कर वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 7 फीसदी हो गई थी। हालांकि मशीनों (वित्त वर्ष 20 में 7.9 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 23 में 6.4 फीसदी) और परिवहन के यंत्रों (वित्त वर्ष 20 के 5.3 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 23 में 4.1 फीसदी) के आयात की हिस्सेदारी में गिरावट आई।