वित्त वर्ष 2026 में जुलाई-सितंबर के दौरान निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में वृद्धि 3 तिमाहियों के उच्च स्तर 7.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इससे खपत मांग में सुधार और अर्थव्यवस्था में मांग का पता चलता है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में यह 7 प्रतिशत थी।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह रिकवरी अर्थव्यवस्था में खपत के आधार के व्यापक होने का संकेत हो सकता है, जिसमें ग्रामीण खपत प्रमुख है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा शुक्रवार को जारी नवीनतम आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में पीएफसीई की हिस्सेदारी बढ़कर 62.5 प्रतिशत हो गई, जो वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 60.3 प्रतिशत थी। इंडिया रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि कृषि क्षेत्र की मजबूत वृद्धि और महंगाई दर में गिरावट के कारण ग्रामीण खपत में मजबूत वृद्धि हुई है और इससे वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में खपत में मजबूत वृद्धि की संभावना बढ़ी है और साथ ही वित्त वर्ष 2027 की पहली छमाही में भी इसका असर जारी रहने की संभावना है।
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) में कटौती का पूरा प्रभाव दूसरी तिमाही में नहीं दिखने के बावजूद दोपहिया वाहनों की बिक्री और ट्रैक्टर की बिक्री जैसे महत्त्वपूर्ण संकेतकों से संकेत मिलता है कि ग्रामीण खपत में तेजी आई है।
उन्होंने कहा, ‘शहरी क्षेत्रों में यात्री वाहनों, इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की बिक्री और एफएमसीजी जैसे महत्त्वपूर्ण संकेतकों में मंदी देखी गई है। लेकिन दूसरी तिमाही में कंपनियों में वेतन में उच्च वृद्धि से खपत को व्यापक आधार मिला है। इसके अलावा, जीएसटी में कटौती का प्रभाव तीसरी तिमाही में दिख रहा है, जो आने वाली तिमाहियों में मांग को बनाए रखेगा।’हालांकि इस तिमाही के दौरान सरकारी खर्च में कमी आई और यह 2.7 प्रतिशत रहा, जबकि पिछली तिमाही में यह 7.4 प्रतिशत था। नॉमिनल जीडीपी में हिस्सेदारी के रूप में देखें तो यह वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के 10.1 प्रतिशत से गिरकर 9.1 प्रतिशत रह गई।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जीएफसीई में अपेक्षित रूप से संकुचन हुआ, जिसकी वजह मुख्य रूप से राज्यों के लिए कमजोर सरकारी राजस्व व्यय है। उन्होंने कहा, ‘केंद्र के गैर ब्याज राजस्व व्यय में दूसरी तिमाही के दौरान 11.2 प्रतिशत की तेज गिरावट आई है, जबकि पहली तिमाही में इसमें 6.9 प्रतिशत की तेजी आई थी।