Rupee vs USD: शेयर बाजार में बिकवाली हावी होने से रुपये पर भी दबाव बढ़ा और डॉलर के मुकाबले यह फिसलकर 86 रुपये प्रति डॉलर को लांघ गया। रुपये में करीब दो साल के दौरान यह एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है। कच्चे तेल में तेजी और डॉलर के मजबूत होने से रुपया लगातार लुढ़कता जा रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया आज 0.7 फीसदी नरम होकर 86.58 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। शुक्रवार को रुपया 85.97 पर बंद हुआ था। एशिया की सभी मुद्राओं में रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है। डीलरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मुद्रा बाजार में उठापटक को नियंत्रित करने के लिए मामूली हस्तक्षेप किया। इससे पहले 6 फरवरी, 2023 को रुपये में 1.10 फीसदी की गिरावट आई थी।
रुपया महज 16 कारोबारी सत्र में 85 प्रति डॉलर से नरम होकर 86 के स्तर पर आ गया जबकि 84 से 85 के स्तर पर आने में 46 कारोबारी सत्र और 83 से कमजोर होकर 84 पर आने में 478 दिन लगे थे। डॉलर के मुकाबले रुपये में चालू वित्त वर्ष में 3.67 फीसदी नरमी आई है। जनवरी महीने में ही रुपया 1.12 फीसदी गिर चुका है। लोग वृद्धि दर में सुस्ती के बाद फरवरी में होने वाली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में रीपो दर कटौती की उम्मीद कर रहे हैं मगर रुपये में नरमी से केंद्रीय बैंक के लिए स्थिति जटिल हो गई है।
डॉलर सूचकांक 110.8 पर पहुंच गया जो शुक्रवार को 109.17 पर था। बाजार के भागीदारों ने कहा कि अनुमान से पहले ही रुपया 86 के स्तर को लांघ गया है और जल्द ही यह 87 पर पहुंच सकता है।
आरबीएल बैंक के ट्रेजरी प्रमुख अंशुल चांडक ने कहा, ‘हम 30 से 35 पैसे की गिरावट मानकर चल रहे थे मगर रुपये में इससे कहीं ज्यादा गिरावट आई। अगले 2 से 4 दिन में रुपया 87 प्रति डॉलर पर पहुंच सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगले 4 से 5 हफ्ते काफी अहम है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अभी दर में कटौती से ज्यादा लंबे समय तक नकदी बढ़ाने के उपाय करना महत्त्वपूर्ण हैं। आरबीआई अभी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करते समय मुद्रा भंडार और तरलता को ध्यान में रखेगा।’
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 3 जनवरी को समाप्त सप्ताह में घटकर 634.6 अरब डॉलर रह गया है, जो 10 महीने में सबसे कम है और सितंबर के उच्चतम स्तर से मुद्रा भंडार 70 अरब डॉलर घटा है।
आईएफए ग्लोबल के मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि आरबीआई अब रुपये में गिरावट को थामने के लिए ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करेगा क्योंकि वह पहले ही काफी मात्रा में डॉलर की बिकवाली कर चुका है और रुपया अभी भी आरईईआर के लिहाज से ऊंचा बना हुआ है।’
गोयनका ने कहा, ‘निकट अवधि में डॉलर के मजबूत बनने से रुपये पर दबाव बना रह सकता है। रुपये की कीमत घटाने पर रिजर्व बैंक का ध्यान रहा तो रुपया अन्य उभरती मुद्राओं विशेषकर युआन जैसी चाल ही चलेगा।’
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अनिश्चितता बढ़ गई है और कच्चे तेल का दाम 81 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है। तेल के दाम ऊंचे होने से भारत का व्यापार घाटा बढ़ने का खतरा है तथा डॉलर की मांग भी बढ़ेगी, जिससे रुपये पर और दबाव आएगा।
एक निजी बैंक के एक ट्रेजरी प्रमुख ने कहा, ‘मेरा मानना है कि फरवरी में दर कटौती की आस धूमिल होती दिख रही है क्योंकि रुपये में तेज गिरावट आ रही है। आरबीआई एनडीएफ की खरीद/बिक्री स्वैप कर रहा है मगर हाजिर बाजार के लिए कोई रणनीति कारगर नहीं दिख रही है।’
विशेषज्ञों ने कहा कि जनवरी के पहले हफ्ते में भारत का जितना विदेशी मुद्रा भंडार था उससे 9.8 महीने के आयात की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है जबकि 13 दिसंबर को यह 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त था। आरबीआई किसी विशिष्ट स्तर को लक्ष्य नहीं कर रहा है और पर्याप्त विदेशी मुद्रा बनाए रखने के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप कर रहा है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘सितंबर में मुद्रा भंडार 11.9 महीने के आयात का भुगतान करने के लिए पर्याप्त था जो अब घटरकर 9.8 महीने रह गया है। तरलता की स्थिति तंग हो गई है। हमें उम्मीद है कि आरबीआई दीर्घावधि के लिए बैंकिंग तंत्र में नकदी बढ़ाने के लिए प्रभावी उपाय करेगा। ऐसा नहीं हुआ तो मौद्रिक नीति सख्त हो जाएगी।’
आरबीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार रविवार को बैंकिंग तंत्र में 2.2 लाख करोड़ रुपये की नकदी की किल्लत थी।