अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया बुधवार को 10 फीसदी गिरकर अब तक के निचले स्तर के करीब 83.14 पर टिका। डीलरों ने कहा, डॉलर में मजबूती की वजह से ऐसा हुआ। इसके अतिरिक्त ब्रेंट क्रूड की कीमतें 90.19 डॉलर प्रति बैरल को छू गई, जिससे तेल कंपनियां डॉलर खरीदने के लिए प्रोत्साहित हुईं।
डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया बुधवार को कारोबारी सत्र के दौरान 83.18 के निचले स्तर तक लुढ़क गया था और पूरे दिन यह 83.02 से 83.18 के दायरे में घूमता रहा। स्थानीय मुद्रा 17 अगस्त को अब तक के निचले स्तर 83.15 को छू गया था।
बाजार के प्रतिभागियों का अनुमान है कि भारतीय रुपया 84 के स्तर को छू सकता है क्योंकि डॉलर इंडेक्स में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और एशियाई मुद्राएं कमजोर हो रही है। डीलरों का कहना है कि इसके अतिरिक्त आरबीआई निर्यातक व आयातक के हितों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए बहुत ज्यादा हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
कच्चे तेल की कीमतें सऊदी अरब और रूस की तरफ से दिसंबर तक तेल उत्पादन घटाने के फैसले के बाद चढ़ी जबकि बाजार अक्टूबर तक ऐसा होने की उम्मीद कर रहा था। डॉलर इंडेक्स बढ़कर 104.86 पर पहुंच गया, जिसका भारतीय रुपये पर असर पड़ा। डॉलर इंडेक्स छह अहम मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की माप करता है।
कोटक सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष (करेंसी डेरिवेटिव व ब्याज दर वायदा) ए बनर्जी ने कहा, यहां से डॉलर अब तक के सर्वोच्च स्तर तक चढ़ सकता है या डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के निचले स्तर 84 तक जा सकता है।
आरबीआई बाजार में है लेकिन डॉलर-रुपये में उतारचढ़ाव घटा है, ऐसे में आरबीआई की तरफ से अपने भंडार के अनावश्यक इस्तेमाल का मतलब नहीं बनता। स्थानीय मुद्रा गुरुवार को डॉलर के मुकाबले 82.90 से 83.30 के दायरे में रहने की संभावना है।