भारत-बांग्लादेश सीमा पर ट्रकों की आवाजाही बढ़ रही है। माल भाड़े में तेजी से दोनों देशों के बीच व्यापार में सुधार का संकेत मिल रहा है। मगर भू-राजनीतिक तनाव काफी बढ़ गया है, क्योंकि बांग्लादेश में करीब दो महीने से अंतरिम सरकार है।
भारतीय कारोबारियों के कारोबार में मासिक आधार पर सुधार दिखने लगा है। बांग्लादेश से वस्तुओं की आवाजाही भी धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। मगर बुनियादी तौर पर दो चिंताएं बरकरार हैं जिनमें पड़ोसी देश से भुगतान और वहां की यात्रा करने वाले भारतीय अधिकारियों की सुरक्षा शामिल हैं। शेख हसीना के नेतृत्व वाली पिछली सरकार के मुकाबले स्थिरता हासिल करना अब भी बाकी है।
बांग्लादेश में छात्रों एवं अन्य समूहों द्वारा कई सप्ताह तक जारी हिंसात्मक विरोध-प्रदर्शन में 600 से अधिक लोग मारे गए। अंतत: हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और 5 अगस्त को भारत भाग गईं। उसके बाद बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
अगस्त के मध्य में एक दक्षिण भारतीय कारोबारी को बांग्लादेश से 20 कंटेनर दालों का ऑर्डर मिला। पिछले 15 वर्षों के व्यापारिक संबंध होने के बावजूद उन्होंने बांग्लादेश में राजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए कदम आगे बढ़ने में संकोच किया। उन्होंने कहा, ‘निर्यात करीब 80 फीसदी पर आ चुका है, लेकिन निर्यातकों में आत्मविश्वास की कमी है।’
व्यापार नीति के विश्लेषक एस चंद्रशेखरन के अनुसार, फिलहाल निर्यात संकट से पहले के मुकाबले 75 से 80 फीसदी पर है। उन्होंने कहा, ‘ट्रकों की आवाजाही शुरू हो चुकी है, लेकिन व्यापार अब भी पिछले स्तर तक नहीं लौट पाया है।’ निर्यातकों के लिए सबसे अहम सवाल यह है कि क्या मेरा पैसा मिल पाएगा?’
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार पर काफी दबाव है। इससे भारतीय कंपनियों को वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात का भुगतान होने में देरी हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘ऐसे में भारतीय कंपनियों के कार्यशील पूंजी चक्र में वृद्धि हो सकती है।’
इसका प्रमुख उदाहरण अदाणी पावर है जिसका बांग्लादेश का बकाया अब 90 करोड़ डॉलर तक पहुंच चुका है। मामले से जुड़े एक व्यक्ति के अनुसार, ‘भुगतान की रफ्तार काफी धीमी रही है और बिजली आपूर्ति का बकाया लगातार बढ़ रहा है।’ अदाणी पावर जुलाई 2023 से झारखंड के गोड्डा में अपने 1,600 मेगावॉट के ताप बिजली संयंत्र से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति कर रही है। कंपनी ने भी इस चुनौती को स्वीकार किया है।
अदाणी पावर के प्रवक्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा ईमेल के जरिये पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, ‘बढ़ते बकाया के बावजूद हम बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति जारी रख रहे हैं, जो काफी चिंता की बात है। इससे संयंत्र के परिचालन में अस्थिरता पैदा हो सकती है।’
उन्होंने कहा, ‘हम बीपीडीबी (बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड) के वरिष्ठ अधिकारियों और बांग्लादेश सरकार के साथ लगातार बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने हमें आश्वस्त किया है कि बकाया का जल्द भुगतान किया जाएगा। हमने उनके आश्वासन के आधार पर बिजली आपूर्ति बरकरार रखी है।
भारतीय कंपनियों को एक जटिल परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है। हसीना को देश में रहने की अनुमति देने वाली भारत सरकार का बांग्लादेश में स्वागत नहीं किया गया है। एक भारतीय कंपनी ने कहा कि खास तौर पर श्रम के मामले में औद्योगिक संबंध प्रभावित हुए हैं।
बांग्लादेश में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा ने इसी सप्ताह बांग्लादेश के विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से मुलाकात की। उन्होंने व्यापार, परियोजनाओं और लोगों से लोगों के संपर्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।
भारत से बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में वाहन एक प्रमुख क्षेत्र है। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिता के कारण वाहन निर्यात भी प्रभावित हुआ है। भारत से बांग्लादेश को वाहन का कुल निर्यात साल 2023-24 में 17.5 करोड़ डॉलर रहा जो एक साल पहले के 22.36 करोड़ डॉलर से कम है।
टीवीएस मोटर के सीईओ केएन राधाकृष्णन ने विश्लेषकों से बातचीत में इन चुनौतियों को स्वीकार किया, मगर उम्मीद भी जताई। उन्होंने कहा, ‘निर्यात की कुल मात्रा के लिहाज से यह एक छोटा बाजार है। हमारा मानना है कि कुछ महीनों में स्थिति सामान्य हो जाएगी।’ टीवीएस ऑटो ने पिछले साल बांग्लादेश में करीब 60,596 वाहनों की बिक्री की।
बांग्लादेश के दोपहिया वाहन बाजार पर भारतीय कंपनियों का वर्चस्व है। भारतीय कंपनियों में बजाज ऑटो, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर की एकीकृत बाजार हिस्सेदारी 50 फीसदी से अधिक है। मगर उद्योग को बिक्री में पिछले साल के मुकाबले 15 से 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है।
टाटा मोटर्स, आयशर मोटर्स और अशोक लीलैंड बांग्लादेश को बसों और ट्रकों का निर्यात करती हैं। वहां निटोल लिलॉय ग्रुप जैसे वितरकों के जरिये टाटा मोटर्स की मौजूदगी है। हालांकि कोविड के बाद से ही वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात सुस्त रहा है।
मारुति सुजूकी का कहना है कि बांग्लादेश में अस्थिरता से उसकी बिक्री पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारा कार निर्यात काफी विविधीकृत है और हम करीब सौ देशों को निर्यात करते हैं। निर्यात का एक बड़ा हिस्सा लैटिन अमेरिका देशों को जाता जाता है और इसलिए बांग्लादेश संकट का हमारे ऊपर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।’
बहरहाल, एक अच्छी खबर भी सामने आई है। बांग्लादेश को दोपहिया और तिपहिया वाहनों का निर्यात करने वाली प्रमुख कंपनी बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सितंबर हमारे लिए वृद्धि का महीना रहा।’