जुलाई महीने के आर्थिक संकेतकों ने आज दोहरा झटका दे दिया। सब्जियों की आसमान छूती कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति 15 महीने के सबसे ऊंचे आंकड़े पर पहुंच गई और कमजोर वैश्विक मांग के बीच वस्तुओं का निर्यात घटकर 9 महीने के सबसे कम स्तर पर चला गया।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जुलाई में ऊंची छलांग मारकर 7.44 फीसदी पर आ गई, जो जून में 4.87 फीसदी ही थी। खुदरा मुद्रास्फीति में उछाल विश्लेषकों के अनुमान से कहीं ज्यादा रही। रॉयटर्स ने इसका आंकड़ा 6.4 फीसदी और ब्लूमबर्ग ने 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।
उधर वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि देश से वस्तुओं के निर्यात में लगातार छठे महीने गिरावट आई है और जुलाई में यह 15.9 फीसदी घटकर 32.25 अरब डॉलर रहा। आयात भी लगातार सातवें महीने घटा और जुलाई में यह 17 फीसदी कम होकर 52.9 अरब डॉलर रहा। इसकी वजह से जुलाई में व्यापार घाटा बढ़कर 20.67 अरब डॉलर हो गया।
महंगे टमाटर की अगुआई में जुलाई में सब्जियों की कीमतें 37.3 फीसदी बढ़ी हैं, जबकि दालें 13.3 फीसदी, अनाज 13 फीसदी और मसाले 21.6 फीसदी महंगे हुए।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज की लीड अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में मौजूदा तेजी के कारण भारतीय रिजर्व बैंक के निकट अवधि और वित्त वर्ष 2024 के मुद्रास्फीति अनुमान के लिए जोखिम खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘अगस्त की शुरुआत तक खाद्य पदार्थों के दाम में नरमी के संकेत नहीं थे। मगर सरकार के दखल से अनाज तथा प्याज एवं टमाटर की उपलब्धता बढ़ रही है।’
मौद्रिक नीति की हालिया समीक्षा में आरबीआई ने जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 6.2 फीसदी कर दिया और चालू वित्त वर्ष के लिए अनुमान 5.4 फीसदी कर दिया। मगर उसने नीतिगत दर यानी रीपो दर 6.5 फीसदी पर बरकरार रखी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने बयान में कहा था कि सब्जियों के दामों में उछाल की वजह से निकट अवधि में मुख्य मुद्रास्फीति में तेजी आ सकती है। इन झटकों की वजह से मौद्रिक नीति में कुछ समय तक ऊंची मुद्रास्फीति पर गौर किया जा सकता है।
इस बीच विश्लेषकों का कहना है कि सितंबर तिमाही में मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के अनुमान से ज्यादा रह सकती है और आने वाले महीनों में दर स्थिर बने रहने की संभावना है। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ऊंची मुद्रास्फीति के लिए खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी जिम्मेदार है। मगर उन्होंने कहा कि खाद्य पदार्थों के दाम में तेजी कुछ समय के लिए है किंतु इसे नीचे आने में थोड़ा वक्त लगेगा।
उधर, खाद्य वस्तुओं विशेष रूप से सब्जियों के दाम बढ़ने के बावजूद थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह शून्य से नीचे रही। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही है। जून में भी थोक मुद्रास्फीति शून्य से 4.12 फीसदी नीचे रही थी।
निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष ए शक्तिवेल ने कहा कि 2023 में निर्यात में नरमी मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आने, केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीतियां सख्त बनाए जाने के कारण आई है। उन्होंने कहा कि अगले कुछ महीनों में त्योहारों और नए साल के लिए नए ऑर्डर मिलने से निर्यात में तेजी आने की उम्मीद है।