आरबीआई ने आवासीय वित्त कंपनियों सहित गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) से शुक्रवार को कहा कि वे बैंकों से उधारी पर निर्भरता कम करें। केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी को बढ़ते असुरक्षित खुदरा ऋण के जोखिम से भी सचेत किया गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगणों ने यहां आवासीय वित्त कंपनियों सहित चुनिंदा एनबीएफसी के प्रमुखों से मुलाकात की। इस मौके पर आरबीआई के उप गवर्नर राजेश्वर राव व स्वामीनाथन जे सहित नैशनल हाउसिंग बैंक (NHB) के प्रबंध निदेशक ए. के. होता भी उपस्थित थे।
RBI ने बयान में बताया कि आवासीय वित्त कंपनियों सहित सभी NBFC के की कुल संपत्ति में इन NBFC की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बीते कुछ वर्षों में एनबीएफसी की उधारी तेज गति से बढ़ रही है। इस क्रम में 30 सितंबर, 2022 को एनबीएफसी की बैंकों से उधारी सालाना आधार पर 26.4 प्रतिशत बढ़ी जबकि यह मार्च, 2022 में 16.7 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी।
केंद्रीय बैंक के बयान के मुताबिक आरबीआई गवर्नर ने बैंकिंग सुविधा से वंचित क्षेत्रों में कर्ज मुहैया कराने में एनबीएफसी की भूमिका को अहम करार दिया।
उन्होंने एनबीएफसी को किसी भी तरह की शिथिलता से बचने की हिदायत भी दी। गवर्नर ने एनबीएफसी कंपनियों से अपने संचालन मानकों एवं आश्वासन व्यवस्थाओं को और मजबूत करने पर ध्यान देने को कहा। इनमें नियमों का अनुपालन, जोखिम प्रबंधन और आंतरिक ऑडिट जैसे पहलू शामिल हैं।
इस बैठक में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और आवासीय वित्त कंपनियों के लिए संसाधनों में विविधता लाने पर भी चर्चा की गई ताकि बैंकों से उधारी लेने पर उनकी निर्भरता को कम किया जा सके। इसके अलावा असुरक्षित खुदरा कर्ज खंड में उच्च वृद्धि से जुड़े जोखिम और सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली एवं साइबर सुरक्षा को उन्नत करने पर भी जोर दिया गया।
मार्च, 2022 में खुदरा क्षेत्र में एनबीएफसी के उधारी देने में सालाना आधार पर केवल पांच प्रतिशत वृद्धि हुई। इस क्रम में उपभोक्ता ऋण में 33.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। हालांकि गैर खाद्य ऋण श्रेणी में 25.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।