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मौद्रिक नीति में समावेशी बदलाव से आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त दर कटौती संभव: राम सिंह

राम सिंह ने कहा कि RBI की मौद्रिक नीति में समावेशी रुख अपनाया गया है जिससे महंगाई नियंत्रित रहते हुए आर्थिक वृद्धि को अतिरिक्त ब्याज दर कटौती के जरिए बल दिया जा सकेगा:

Last Updated- October 19, 2025 | 9:17 PM IST
Ram Singh
दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक व भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य राम सिंह

दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक व भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य राम सिंह का कहना है कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक के महंगाई के पूर्वानुमान में वित्त वर्ष 27 के कम महंगाई के अनुमानों को शामिल किया जाता है तो यह एक से अधिक अतिरिक्त कटौती के लिए जगह बना सकता है। सिंह ने मनोजित साहा को दिए साक्षात्कार में कहा कि इस सुस्त चक्र में अतिरिक्त दर कटौती की बढ़ती संभावना का सुझाव देने के लिए रुख में समावेशी (एकॉमडेटिव) बदलाव वांछनीय है। पेश हैं संपादित अंश:

आपने समावेशी रुख के लिए वोट किया है। यह भी नजरिया है कि रुख तटस्थ होने पर भी ब्याज दर में कटौती हो सकती है। लिहाजा रुख में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। क्या आपका नजरिया है?

इस आसान चक्र में अतिरिक्त दर कटौती की बढ़ती संभावना का सुझाव देने के लिए रुख में ‘समावेशी’ बदलाव सहायक है। ऐसे संकेत कई मामले वृद्धि की गतिशीलता को बढ़ाएंगे। एक तो, यह अनुकूल नकदी स्थितियों के समर्थन से नीतिगत दरों में 100 आधार अंक कटौती के संचरण को और बढ़ावा देगा। इससे आय बढ़ेगी और ब्याज दर की मांग का प्रभाव मजबूत किया जा सकेगा। ब्याज दर में कटौती के अनुमान बॉन्ड यील्ड पर गिरावट का प्रभाव डालेगी। इससे उधारकर्ताओं के लिए बांड मार्केट से धन जुटाना आकर्षक होगा। रुख में बदलाव करने से आर्थिक गतिविधियां को बढ़ावा देने की क्षमता है।

आपने मिनट्स में कहा कि अभी ब्याज दर में और कटौती करने से ओवरडोज का जोखिम बढ़ जाता है। क्या आपको लगता है कि इसे दिसंबर तक ओवरडोज के रूप में नहीं देखा जाएगा। ब्याज दर में कटौती के लिए क्या पूर्व शर्त हो सकती है?

हमें चार मोर्चों पर विकास पर नजर रखनी होगी। एक, अर्थव्यस्था के वित्तीय और वास्तविक क्षेत्रों में नीतिगत दरों में 100 बीपीएस कटौती का संचरण बढ़ाना। दो, अगर आने वाली तिमाहियों के लिए महंगाई में कोई भी बदलाव हो। तीसरी, सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर। चौथा, बाहरी मोर्चों पर विकास। पिछली दर में कटौती का संचरण संतोषजनक है।

लिहाजा अन्य स्थितियां समान रहने की स्थिति में महंगाई का सुस्त दायरा कायम रहने / वृद्धि के मोर्च पर कोई भी दबाव अतिरिक्त ब्याज दर के मामले को मजबूत करेगा। हालांकि बाहरी मोर्चे पर कोई भी आगे का मार्गदर्शन प्रदान करना मुश्किल है।

नजरिया है कि दरों में कटौती की अवधि छोटी है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही से महंगाई धीरे-धीरे बढ़ने लगेगी। क्या आप सहमत हैं?

उम्मीद है कि आने वाले प्राइस डेटा से इस सवाल का जवाब देने में मदद मिलेगी। अभी महंगाई के पूर्वानुमान से पता चलता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई वर्तमान वित्त वर्ष के अंत तक सबसे नीचे होगी। हालांकि, अगर आने वाले डेटा से वित्त वर्ष 27 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में नीचे की ओर संशोधन होता है (उदाहरण के लिए ऊपर उल्लिखित 3.7% या 3.9%) तो दर में कटौती के समय को चुनने के लिए लंबी अवधि होगी।

महंगाई के नियंत्रित होने पर एमपीसी को अब कीमत स्थिरता को ध्यान में रखते हुए विकास का समर्थन करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए?

हां, कीमत स्थिरता को ध्यान में रखते हुए वृद्धि को एक अतिरिक्त मौद्रिक बढ़ावा देने की गुंजाइश और मामला है।

First Published - October 19, 2025 | 9:17 PM IST

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