कंपनियों द्वारा अग्रिम करों के भुगतान की वजह से बैंकिंग व्यवस्था से उल्लेखनीय रूप से नकदी निकली है, जिसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के गुरुवार को व्यवस्था में 1.1 लाख करोड़ रुपये डाले हैं। यह रिजर्व बैंक द्वारा 24 अप्रैल 2019 के बाद से व्यवस्था में डाली गई सबसे बड़ी नकद धनराशि है।
रिजर्व बैंक के हाल के आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय बैंक ने 16 मार्च को बैंकिंग व्यवस्था में 1,10,772 करोड़ रुपये नकदी डाली है। यह 24 मार्च, 2019 के बाद पहला मौका है, जब नियामक ने बैंकिंग व्यवस्था में 1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर नकदी डाली है।
नकदी की कमी की स्थिति के कारण बाजार से धन जुटाने की दरों में तेज बढ़ोतरी हुई है। इंटरबैंक कॉल मनी रेट 6.80 प्रतिशत के उच्च स्तर पर है। यह दर 6.50 प्रतिशत रीपो रेट से बहुत ज्यादा है। यह 6.75 प्रतिशत MSF रेट से भी ज्यादा है। MSF ब्याज दर की ऊपरी सीमा होती है। कॉल रेट में बढ़ोतरी से बैंक की उधारी लागत में बढ़ोतरी होती है।
शुक्रवार को भारित औसत कॉल रेट (WACR) 6.65 प्रतिशत रहा, जो इसके पहले की बंदी पर 6.52 प्रतिशत था। भारित औसत कॉल रेट रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति का परिचालन लक्ष्य होता है और केंद्रीय बैंक का लक्ष्य WACR को नकदी डालकर रीपो रेट के मुताबिक रखना होता है।
15 मार्च के पहले रिजर्व बैंक बैंकिंग व्यवस्था से हर दिन नकदी खींच रहा था। रिजर्व द्वारा बैंकिंग व्यवस्था से धन खींचने का असर बैंकों के पास पड़ी नकदी पर पड़ा। हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि कर के प्रवाह से कम नकदी की स्थिति बन गई है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक इंडिया के अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘अग्रिम कर के भुगतान से जुड़े प्रवाह के कारण 16 मार्च तक के आकड़ों के मुताबिक नकदी का अंतर बढ़कर 1.1 लाख करोड़ रुपये हो गया था। इसके अलावा नकदी पर आगे और दबाव बन सकता है, क्योंकि हम 20 मार्च की ओर बढ़ रहे हैं जो जीएसटी के भुगतान की तिथि है।’
ट्रेडर्स ने कहा कि रिजर्व बैंक द्वारा डाली गई राशि में मार्जिनल स्टैंडिंग फैसेलिटी (MSF) विंडो से बैंकों द्वारा उधार ली गई राशि, केंद्रीय बैंक की पिछले सप्ताह की वैरिएब रेट रीपो ऑपरेशन और स्टैंडिंग लिक्विडिटी फैसेलिटी (SLF) के माध्यम से ली गई उधारी शामिल है।
बैंकों ने 10 मार्च को रिजर्व बैंक द्वारा कराए गए 14 दिन के वैरिएबल रेट रीपो ऑक्शन के माध्यम से 82,650 करोड़ रुपये उधार लिए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि MSF विंडो से हाल में ली गई उधारी 8,664 करोड़ रुपये की है, जबकि SLF के माध्यम से 17,239 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।
एक विदेशी बैंक के वरिष्ठ ट्रेजरी अधिकारी ने कहा, ‘व्यवस्था की नकदी के लिए हमारे पास रिजर्व बैंक के रीपो ऑपरेशन- 14 दिन के रीपो, MSF और CRR कवरिंग का खाता होता है।’
अधिकारी ने कहा, ‘बैंकों द्वारा स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसेलिटी के माध्यम से रिजर्व बैंक में रखी गई राशि के मामले में बैंकिंग घाटा करीब 25,000 करोड़ रुपये है। लेकिन अगले महीने जीएसटी प्रवाह के साथ यह घाटा करीब 1 लाख करोड़ रुपये हो सकता है।’
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की सेनगुप्ता ने कहा, ‘माह के अंत खासकर मार्च में सरकार का व्यय तेजी से बढ़ता है। इसकी वजह से ओवरनाइट दरों पर दबाव कुछ कम हो सकता है। 24 फरवरी को सरकार की नकदी 1.8 लाख करोड़ रुपये थी।’
5 महीनों के उतार-चढ़ाव के बाद फरवरी में रिजर्व बैंक ने वैरिएबल रेट रीपो ऑपरेशन बहाल किया था, जिससे बैंकों में नकदी की कमी की स्थिति में उन्हें मदद मिल सके। वित्त वर्ष के अंत में कर की निकासी के अलावा महामारी के दौर की रीपो दरों में बढ़ोतरी से 17 मार्च से 21 अप्रैल के बीच73,412 करोड़ रुपये निकले हैं, जिससे नकदी का दबाव बढ़ा है।
बैंकिंग व्यवस्था में अप्रैल 2022 में नकद अधिशेष करीब 7.4 लाख करोड़ रुपये था, जो दिसंबर-जनवरी में घटकर 1.6 लाख करोड़ रुपये रह गया। रिजर्व बैंक उच्च महंगाई पर काबू पाने के लिए मई 2022 से मौद्रिक समावेशन वापस लेती रही है।