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RBI Bulletin: महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में बदला वृद्धि का रुझान

रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च आवृत्ति संकेतकों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर ने इसके पहले की तिमाही का रुख बरकरार रखा है।

Last Updated- June 19, 2024 | 10:30 PM IST
RBI

RBI Bulletin: 2021-2024 के दौरान देश की आर्थिक वृद्धि दर औसतन 8 फीसदी से अधिक रही जबकि 2003-2019 के दौरान औसत वृद्धि दर 7 फीसदी रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड महामारी के बाद वृद्धि दर का रुझान बदला है और घरेलू कारकों के दम पर इसमें तेजी आई है।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र और अन्य अधिकारियों द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि महामारी के बाद के वर्षों में वृद्धि की प्रवृत्ति में बदलाव आ रहा है और 2003-19 में औसत 7 फीसदी वृद्धि दर से 2021-24 में औसत 8 फीसदी या उससे अधिक वृद्धि दर हसिल हुई है जिसमें घरेलू कारकों का अहम योगदान है।’

आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि ये विचार रिपोर्ट के लेखकों के हैं और यह रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.2 फीसदी रही जो 2021-22 में कोविड के बाद अचानक आई वृद्धि को छोड़कर 2016-17 के बाद सबसे अधिक है।

इसके अनुसार हालिया संकेतकों से पता चलता है कि निजी खपत मांग को बढ़ावा देने में मुख्य भूमिका अदा कर रहे हैं और ग्रामीण उपभोक्ताओं की भी मांग बढ़ रही है। इसमें कहा गया है कि आने वाले वर्षों में वृद्धि को बढ़ावा देने में निजी निवेश में मजबूत सुधार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होगी।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2023-24 के अंत तक सरकारी उपभोग व्यय में मामूली वृद्धि हुई, जो पूंजीगत व्यय पर निरंतर जोर को दर्शाता है और अर्थव्यवस्था की मध्यम अवधि की संभावनाओं और निवेशक भावना के लिए सकारात्मक है।’

जीडीपी में शुद्ध निर्यात का योगदान भी बढ़ा है, खास तौर पर महंगे विनिर्माण का, जो सुखद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च आवृत्ति संकेतकों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर ने इसके पहले की तिमाही का रुख बरकरार रखा है।

First Published - June 19, 2024 | 10:30 PM IST

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