असम और पश्चिम बंगाल में सूखे के बाद अब बारिश के कारण चाय की उत्पादकता पर बुरा असर पड़ने की आशंका है। टी रिसर्च एसोसिएशन (टीआरए) के मुताबिक असम और पश्चिम बंगाल में जून के पहले पखवाड़े में सूखे की वजह से 15 से 35 प्रतिशत तक फसल को नुकसान हुआ है। टीआरए के सचिव जयदीप फूकन ने कहा, ‘यह कम बारिश के कारण हुआ है।’ उन्होंने कहा कि अब स्थिति उलट हो गई है और भारी बारिश व सूरज की रोशनी न होने की समस्या है, जो फसल के लिए बेहतर नहीं है।
इंडियन टी एसोसिएशन के सेक्रेटरी जनरल अरिजित राहा ने कहा, ‘जलवायु परिवर्तन के कारण हमने पाया है कि कम समय में भारी बारिश हो रही है। अगर ऐसी स्थिति बनी रहती है तो फसल की उपज पर असर पड़ सकता है।’ उन्होंने कहा कि उत्तर बंगाल में स्थिति गंभीर है। राहा ने कहा, ‘पिछले कुछ दिन से रोजाना 6 से 8 इंच बारिश हो रही है और तमाम इलाकों में बाढ़ आ गई है। चाय उत्पादन वाले इलाकों में बाढ़ से मिट्टी कट रही है, जिसका उत्पादन पर बुरा असर पड़ेगा। लेकिन अभी इसके असर का मूल्यांकन करना जल्दबाजी होगी।’
मौसम विभाग ने बुधवार को कहा कि 21 और 22 जून को उत्तर बंगाल के जिलों में भारी से बहुत भारी और अतिशय बारिश जारी रहने की संभावना है। चाय उद्योग के प्रतिनिधियों ने जलवायु परिवर्तन के विपरीत असर का भी उल्लेख किया। मई और जून के 10 दिन में बारिश कम हुई और इसकी वजह से कीड़ों का हमला हुआ और इससे मई में फसल खराब हुई।
आईटीए के अनुमान के मुताबिक उत्तर बंगाल में मई महीने में फसल में करीब 38 प्रतिशत गिरावट आई। गुडरिक ग्रुप के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी अतुल अस्थाना ने कहा, ‘मई के अंत तक हम उत्तर बंगाल में 22 से 23 प्रतिशत पीछे हैं, क्योंकि पूरी तरह से सूखा था। जून के पहले पखवाड़े में भी स्थिति अच्छी नहीं रही। अब अचानक भारी बारिश शुरू हो गई है, जिससे एक बार फिर फसल प्रभावित हुई है।’
अस्थाना ने कहा कि हमने पिछले 40 साल में मौसम की इस तरह की चरम स्थिति नहीं देखी। असम में मई महीने में कंपनी का प्रदर्शन पिछले साल जैसा ही रहा है। अमलगमेटेड प्लांटेशंस के प्रबंध निदेशक विक्रम सिंह गुलिया ने कहा कि डुआर्स और असम में जून के पहले पखवाड़े की फसल पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत कम रही है।
असम में जून के पहले पखवाड़़े में सूखा था और कीड़ों के हमले से फसल प्रभावित हुई। उसके बाद 10 जून से बारिश शुरू हो गई, जिससे गर्मी के थपेड़ों से राहत मिली, लेकिन उसके बाद कम तापमान और सूरज की रोशनी नहीं होने से चाय की वृद्धि पर असर पड़ रहा है।