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मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने सोमवार को कहा कि भारत की वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही की वृद्धि जुलाई से अक्टूबर के दौरान भी जारी रहने की संभावना है। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों से भी घरेलू मांग को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। सीईए ने सीएनबीसी टीवी-18 से बातचीत के दौरान कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बाजार उधार अपरिवर्तित रहेगी।
भारत की योजना मार्च 31 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में 14.82 लाख करोड़ रुपये (167.87 अरब डॉलर) जुटाने की है। इस क्रम में अक्टूबर से मार्च के दौरान 6.8 लाख करोड़ रुपये जुटाना प्रस्तावित है। आर्थिक सर्वेक्षण ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत होने का अनुमान जताया है। नागेश्वर ने बताया, ‘मैं वास्तविक रूप से मेरे (जीडीपी) नंबरों को बढ़ाकर संशोधित करना चाहूंगा। मैं अपनी सजग रहने की प्रवृत्ति के कारण आसानी से यह कह सकता हूं कि हम दायरे के ऊपरी ओर की जा जाएंगे। जब दूसरी तिमाही के आंकड़े आएंगे तो हम इन अनुमानों की समीक्षा करेंगे।’
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद अप्रैल-जून 2025 में पांच तिमाहियों के उच्च 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गया।
नागेश्वर ने भरोसा जताया कि सरकार वित्त वर्ष 2026 में राजकोषीय घाटे का 4.4 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल कर लेगी। नागेश्वर ने बताया, ‘दूसरी तिमाही के आंकड़े अत्यधिक उत्साहजनक हैं। हम तीसरी अगस्त से लागू शुल्क के बावजूद दूसरी तिमाही के लिए भी सातवें नंबर के करीब पहुंच रहे हैं।’
नागेश्वर ने कहा कि पूववर्ती रिकॉर्ड से दर्शाते हैं कि जीएसटी की दरें कम करने से जीएसटी राजस्व में गिरावट नहीं होती है। उन्होंने कहा कि यूपीआई से बढ़ता लेनदेन जीएसटी राजस्व बढ़ने की अच्छी पूर्व सूचना देने वाला है।