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आसमान से जुड़े मसले जमीन पर भी हलचल मचा रहे हैं। एयरपोर्ट ऑपरेटरों ने नियामक की उस पहल का विरोध किया है, जिसमें सभी हवाई अड्डों पर समान सेवा गुणवत्ता मानकों को लागू करने की बात कही गई है। मामला तब शुरू हुआ जब एयरपोर्ट्स इकोनॉमिक रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (Aera) ने 18 अगस्त को एक ड्राफ्ट कंसल्टेशन पेपर जारी किया, जिसमें भारतीय हवाई अड्डों पर सेवा की गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वसनीयता के लिए राष्ट्रीय ढांचे का प्रस्ताव दिया गया।
पहली नजर में एईआरए का यह मसौदा सामान्य लग सकता है, लेकिन ऑपरेटरों का कहना है कि अगर यह लागू हुआ तो संचालन में भारी व्यवधान आ सकता है। उनका तर्क है कि प्रस्तावित फ्रेमवर्क में अव्यावहारिक प्रावधान, असमान दंड, संभावित वित्तीय व संविदात्मक विवाद और राजस्व पर बड़ा असर छिपा है।
उनकी चिंताएं कई स्तरों पर हैं — जैसे 24 घंटे में सभी यात्री शिकायतें अपलोड करने की अनिवार्यता, असंभव लगने वाले बैगेज डिलीवरी टाइमलाइन, व्हीलचेयर सहायता की चुनौतियां, पीक-आवर परफॉर्मेंस मेंट्रिक्स पर जोर, असंतुलित दंड और प्रोत्साहन प्रणाली, ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट्स पर अस्पष्ट नियम, और कैटरिंग व ग्राउंड हैंडलिंग जैसी थर्ड-पार्टी सेवाओं की जवाबदेही। मसौदे में कहा गया है कि यदि सेवा में कमी पाई जाती है तो यात्रियों से वसूले जाने वाले यूजर डेवलपमेंट फीस (UDF) में छूट दी जाएगी और मानक से अधिक प्रदर्शन पर मामूली प्रोत्साहन।
प्रस्तावित ढांचा 32 मापने योग्य और 18 गुणात्मक पैमानों को तय करता है, जिनमें बैगेज डिलीवरी, सुरक्षा व इमीग्रेशन जांच की गति, विमान से टर्मिनल तक पहुंचने का समय, और लिफ्ट, एस्केलेटर, ट्रैवलेटर, मेडिकल सुविधाएं, व्हीलचेयर, बेबी केयर रूम, एयरोब्रिज और वाई-फाई की उपलब्धता और गुणवत्ता शामिल हैं। प्रदर्शन की निगरानी मासिक सर्वे के जरिये होगी, जिससे मानक लागू करने योग्य और सत्यापित बनेंगे।
10 सितंबर को हुई एक बैठक में एयरलाइंस, एयरपोर्ट ऑपरेटर, डीजीसीए, सीआईएसएफ और क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया मौजूद थे। Aera चेयरपर्सन एसकेजी रहाटे ने कहा कि चूंकि एयरपोर्ट डेवलपमेंट का खर्च यात्रियों से वसूले गए UDF से होता है, इसलिए सुविधाओं में “निरंतर सुधार” सुनिश्चित करना जरूरी है।
एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), जो 100 से अधिक हवाई अड्डे चलाती है, ने कहा कि इतने विविध पोर्टफोलियो पर एक समान मानक लागू करना संभव नहीं है।
AAIअधिकारी खुर्रम नसीम ने कहा कि 24 घंटे में सभी शिकायतें अपलोड करने की अनिवार्यता अव्यावहारिक है क्योंकि शिकायतें खुद यात्रियों द्वारा दर्ज की जानी होती हैं। उन्होंने कहा कि छोटे हवाई अड्डों पर बैट्री कार (बग्गी) सेवाओं की जरूरत नहीं है और घरेलू यात्रियों के लिए मोबाइल डेटा की मौजूदगी में वाई-फाई अनिवार्य नहीं है।
एक अन्य अधिकारी, विक्रम सिंह, ने सुझाव दिया कि समयबद्ध प्रक्रियाओं पर ही निर्भर रहने की बजाय चेक-इन काउंटर जैसी इन्फ्रास्ट्रक्चर-आधारित मानक तय किए जाएं। उन्होंने चेन्नई एयरपोर्ट का उदाहरण दिया, जहां दूरस्थ स्टैंड से 15 मिनट में बैगेज ट्रांसफर व्यावहारिक नहीं है।
उन्होंने एयरोब्रिज आवंटन नियमों पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह एयरलाइन अनुरोधों पर निर्भर करता है। मेडिकल सुविधाओं पर उन्होंने कहा कि Aera को अंतरराष्ट्रीय मानकों (ICAO) के अनुरूप केवल फर्स्ट एड और रेफरल सेवाओं को अनिवार्य करना चाहिए।
दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे बड़े हवाई अड्डों को चलाने वाले निजी ऑपरेटरों ने और भी तीखे स्वर में आपत्ति जताई।
अदाणी एयरपोर्ट्स ने कहा कि दंड-प्रोत्साहन ढांचा असंतुलित है। उनके प्रतिनिधि आशु मदान ने बताया कि दंड UDF का 5 फीसदी तक हो सकता है जबकि प्रोत्साहन केवल 1.25 फीसदी तक सीमित है। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रोत्साहन नकद में दिया जाए।
मदान ने फ्रेमवर्क को 2-3 साल में चरणबद्ध तरीके से लागू करने की मांग की और कहा कि तात्कालिक बदलाव संचालन को प्रभावित करेंगे। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट्स पर यह कैसे लागू होगा क्योंकि वे पहले से ही AAI के साथ हस्ताक्षरित कंसैशन एग्रीमेंट के तहत सेवा मानकों का पालन कर रहे हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट (DIAL) के प्रतिनिधि हर्ष गुलाटी ने कहा कि पीक-आवर परफॉर्मेंस पर आधारित मापदंड परिणामों को विकृत कर देंगे और अनावश्यक कैपेक्स को बढ़ावा देंगे।
बेंगलुरु एयरपोर्ट (BIAL) ने भी यही चिंता जताई और कहा कि केवल त्योहार या छुट्टियों की भीड़ को आधार बनाने से ऑपरेटरों पर अनुचित दबाव पड़ेगा।
जीएमआर ग्रुप के के नारायण राव ने दंड-प्रोत्साहन अनुपात को अनुचित बताया और थर्ड-पार्टी सर्वे एजेंसियों की भूमिका पर स्पष्टीकरण मांगा।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, जो जल्द शुरू होने वाला है, ने अनुरोध किया कि नए हवाई अड्डों को स्थिर होने के लिए समय दिया जाए। उनकी प्रतिनिधि तृषा बेदी ने कहा कि एक मोरेटोरियम अवधि अनिवार्य होनी चाहिए।