facebookmetapixel
अमर सुब्रमण्य बने Apple AI के वाइस प्रेसिडेंट, जॉन जियानएं​ड्रिया की लेंगे जगहमारुति सुजूकी ने देशभर में 2,000 से अधिक ईवी चार्जिंग पॉइंट स्थापित कर इलेक्ट्रिक वाहन नेटवर्क किया मजबूतNLCAT ने व्हाट्सऐप और मेटा के डेटा-शेयरिंग मामले में स्पष्टीकरण याचिका पर सुनवाई पूरी कीरुपया 90 के करीब पहुंचा: RBI की दखल से मामूली सुधार, एशिया में सबसे कमजोर मुद्रा बनासुप्रीम कोर्ट फरवरी में करेगा RIL और उसके साझेदारों के कृष्णा-गोदावरी D6 गैस विवाद पर अंतिम सुनवाईसूरत संयंत्र में सुची सेमीकॉन ने शुरू की QFN और पावर सेमीकंडक्टर चिप पैकेजिंगपुतिन की भारत यात्रा: व्यापार असंतुलन, रक्षा सहयोग और श्रमिक गतिशीलता पर होगी अहम चर्चाविमानन सुरक्षा उल्लंघन: DGCA जांच में एयर इंडिया के अधिकारियों को डी-रोस्टर किया गया‘संचार साथी’ पर सरकार का नया स्पष्टीकरण: ऐप हटाने की आजादी, निगरानी न होने का दावाभारत निश्चित रूप से हमारा सरताज है, युवा डिजिटल आबादी ने बढ़ाया आकर्षण: एसबी शेखर

पुतिन की भारत यात्रा से रूस को निर्यात बढ़ाने की उम्मीद, प्रतिबंधों के बीच बन सकता है व्यापार का नया रास्ता

सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि भारत और रूस के बीच कुल व्यापार वित्त वर्ष 2022 में 8.73 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 68.7 अरब डॉलर हो गया

Last Updated- December 02, 2025 | 10:01 PM IST
Vladimir Putin
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन | फाइल फोटो

पिछले तीन वर्षों में भारत का रूस के साथ माल व्यापार तेजी से बढ़ा है, लेकिन युक्रेन से चल रहे युद्ध की छाया में प्रतिबंधों के दबाव, ढुलाई में व्यवधान और बाजार पहुंच जैसी चुनौतियों के कारण निर्यात वृद्धि धीमी बनी हुई है। अब 4 दिसंबर से शुरू हो रही राष्ट्रपति पुतिन की दो दिवसीय भारत यात्रा से स्थिति में बदलाव की उम्मीद की जा रही है।

सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि भारत और रूस के बीच कुल व्यापार वित्त वर्ष 2022 में 8.73 अरब डॉलर से बढ़कर 2025 में 68.7 अरब डॉलर हो गया। इस बढ़ोतरी का प्रमुख कारण भारत द्वारा रूस से बड़ी मात्रा में तेल की खरीद है। वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, आवक शिपमेंट वित्त वर्ष 2022 में 5.48 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 63.8 अरब डॉलर हो गया है, जबकि निर्यात 3.5 अरब डॉलर से बढ़कर केवल 4.88 अरब डॉलर रहा।

निर्यातकों ने कहा कि आने वाले समय में भी रूस को निर्यात में वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह सीमित ही रहेगी, क्योंकि युद्ध की वजह से पश्चिमी देश आर्थिक प्रतिबंधों के माध्यम से रूस को अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं। कारोबार वृद्धि में यह सबसे बड़ी बाधा है। पर्याप्त कंटेनर लदान नहीं होने के कारण लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियां बनी हुई हैं और मुद्रा मुख्य रूप से रूबल में उतार-चढ़ाव ने भी भारतीय वस्तुओं की खरीद को महंगा कर दिया है। भारत से रूस को मुख्य रूप से इंजीनियरिंग सामान, दवाएं और फार्मास्युटिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन, कोयला, समुद्री उत्पाद आदि निर्यात किया जाता है।

Also Read: RBI MPC Meet: क्या RBI देगा 25bps की कटौती? आपके लोन और EMI पर होगा सीधा असर, जानिए एक्सपर्ट्स की राय

उन्होंने कहा कि डेरी, समुद्री उत्पाद और फार्मास्युटिकल जैसे कुछ क्षेत्रों में बाजार पहुंच अभी बड़ा मुद्दा बना हुआ है। लेकिन, चालू वित्त वर्ष (अप्रैल-अक्टूबर) में समुद्री निर्यात में लगभग 30 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है। हालांकि यह 9.07 करोड़ डॉलर पर ही अटकी है। इसके अलावा, पिछले साल भारतीय निर्माताओं को रक्षा उपकरणों सहित अन्य वस्तुओं का रूस को निर्यात नहीं करने की अमेरिकी सरकार की चेतावनी के कारण स्थिति और विकट हो गई है। अब कंपनियां ऐसे आइटम निर्यात करने में झिझक रही हैं, जो प्रकृति में दोहरे उपयोग वाले हैं। क्योंकि  उनका रूस की मिसाइल प्रणालियों में उपयोग का जोखिम है।

इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (ईईपीसी) के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने कहा, ‘व्यापार के मामले में अमेरिका से जुड़ी बड़ी कंपनियां रूस को निर्यात करने में कतरा रही हैं। भू-राजनीतिक स्थिति में सुधार हुआ तो इसका सीधा असर रूस को होने वाले निर्यात पर पड़ेगा।’ व्यापार प्रतिबंध और भू-राजनीतिक चुनौतियां रूस को इंजीनियरिंग सामान के निर्यात में गिरावट का प्रमुख कारण रही हैं। हालांकि भारत से होने वाले निर्यात में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इसी सेगमेंट की है। इंजीनियरिंग सामान का निर्यात वित्त वर्ष 2024 में 1.36 अरब डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 1.26 अरब डॉलर पर आ गया है।

Also Read: Explainer: यूरोप ने ग्रीन एनर्जी अपनाकर उत्सर्जन में कमी तो लाई, लेकिन क्या अर्थव्यवस्था यह बोझ उठा पा रही है?

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (फियो) ने भी चड्ढा ये सहमति जताई। संगठन के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय सहाय ने कहा, ‘प्रतिबंधों के बाद बड़ी कंपनियां रूस के साथ व्यापार करने के लिए उत्सुक नहीं हैं। रूस को अधिकांश निर्यात छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। इसका सीधा असर निर्यात वृद्धि पर पड़ रहा है।’ लेकिन, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं, जिनमें हम अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। इनके निर्यात ने वित्त वर्ष 25 के दौरान 1 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है।

उन्होंने कहा, ‘कॉफी, खाद्य उत्पादों और होम टेक्सटाइल, ऑटो उपकरणों की मांग बढ़ रही है।’ अब सभी निगाहें इस सप्ताह के अंत में रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की भारत यात्रा पर टिकी हैं।

First Published - December 2, 2025 | 9:56 PM IST

संबंधित पोस्ट