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परियोजना अटकने की दर 47 तिमाही में सबसे कम, RBI ने निजी निवेश में तेजी की दी सलाह

स्वतंत्र बाजार विशेषज्ञ अंबरीश बालिगा ने कहा कि वृद्धि में नरमी से ​निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

Last Updated- October 24, 2024 | 9:19 PM IST
Private Investment

निजी निवेश रुकने से परियोजनाओं के अटकने की दर एक दशक के निचले स्तर पर आ गई हैं। ताजा घटनाक्रम भारतीय रिजर्व बैंक के 21 अक्टूबर के बुलेटिन में निवेश चक्र पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के बीच हुआ है। आरबीआई ने कहा था कि अभी निजी निवेश का समय है और इसमें देर होने से प्रतिस्पर्धा के घटने का खतरा हो सकता है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के सितंबर तिमाही के आंकड़ों के अनुसार सितंबर तिमाही में परियोजनाओं के अटकने की दर करीब 4.61 फीसदी थी। मार्च 2020 में यह आंकड़ा सबसे अ​धिक 10.53 फीसदी पर पहुंच गया था। इसके बाद से इसमें गिरावट आई है और 2024 में यह घटकर 5 फीसदी से कम रह गई।

रुकी हुई परियोजनाओं के मूल्य में कमी और निर्माणाधीन परियोजनाओं के मूल्य में उल्लेखनीय वृद्धि के कारण कुल अटकी परियोजनाओं की दर में कमी आई है। कोविड महामारी से पहले सितंबर 2019 में यह दर 6.72 फीसदी थी।

सितंबर 2019 में 14.7 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाएं अटकी हुई थीं, मगर सितंबर 2024 में यह आंकड़ा घटकर 13.2 लाख करोड़ रुपये रह गया। इसी तरह सितंबर 2019 में 218 लाख करोड़ रुपये मूल्य की परियोजनाओं पर काम चल रहा था जबकि सितंबर 2024 में 287 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएं प्रगति पर थीं।

सरकार परियोजनाओं की रुकने की दर आम तौर पर निजी क्षेत्र की परियोजनाओं की तुलना में कम रहती है। मगर हाल के वर्षों में दोनों के बीच अंतर कम हुआ है। निजर क्षेत्र में अटकी परियोजनाओं की दर 2019 की तुलना में तकरीबन आधी रह गई है। सरकारी क्षेत्रों में यह दर घटी है मगर निजी क्षेत्र की रफ्तार ज्यादा तेज रही है।

निर्माणाधीन सरकारी परियोजनाओं में 2019 के स्तर से करीब 8 फीसदी का इजाफा हुआ है। निजी क्षेत्र में यह रफ्तार काफी तेज रही और इस दौरान निजी परियोजनाओं की प्रगति 73 फीसदी बढ़ी है।

स्वतंत्र बाजार विशेषज्ञ अंबरीश बालिगा ने कहा कि वृद्धि में नरमी से ​निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। उनके अनुसार निवेश चक्र में तेजी आने पर इंजीनियरिंग, रक्षा और रेलवे जैसे क्षेत्र अच्छा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘2025 के मध्य में ऐसा संभव हो सकता है।’

परिसंप​त्ति प्रबंधन कंपनी रोहा वेंचर के मुख्य निवेश अ​धिकारी धीरज सचदेव ने कहा है कि पूंजीगत वस्तु कंपनियों के शेयर मूल्य निवेश चक्र में बदलाव होने से पहले ही बढ़ गए थे। उनका मानना है कि पूंजीगत खर्च पहले से बेहतर स्थिति में है। वह मुख्य तौर पर उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना जैसे सरकारी कार्यक्रमों से प्रेरित है।

इसके तहत सरकार इलेक्ट्रॉनिकी जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है। मगर बड़े निवेश से लाभ उठाने वाली कंपनियों के लिए बुनियादी बातें उनके मूल्यांकन से अलग दिख रही हैं। उन्होंने कहा, ‘आय में सुधार होना चाहिए।’

जहां तक विनिर्माण कंपनियों का सवाल है तो उनकी परियोजनाओं के अटकने की दर में सुधार दिखा है। इस क्षेत्र में परियोजनाओं के अटकने की कुल दर महज 4.84 फीसदी रह गई है जो पहले 8.41 फीसदी थी।

विनिर्माण क्षेत्र के भीतर खास तौर पर धातु एवं धातु उत्पाद जैसी श्रेणी में परियोजनाओं के अटकने की दर कम हुई है। कपड़ा, निर्माण और रियल एस्टेट जैसे रोजगार सृजन करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में परियोजनाओं के अटकने की दर में मामूली वृद्धि देखी गई है। मगर बिजली परियोजनाओं के साथ-साथ सेवा क्षेत्र से लेकर सूचना प्रौद्योगिकी तक में परियोजनाओं के ​अटकने की दर कम हुई है।

ऑर्डर बुकिंग, स्टॉक एवं क्षमता उपयोगिता पर भारतीय रिजर्व बैंक का सर्वेक्षण विनिर्माण कंपनियों के बीच क्षमता उपयोग पर नजर रखता है। इसे कुछ समय बाद जारी किया जाता है और इसलिए ताजा आंकड़े जून तिमाही के हैं। उसमें कहा गया है, ‘विनिर्माण क्षेत्र की क्षमता उपयोगिता में कुल मिलाकर मौसमी गिरावट दर्ज की गई।

वह 2024-25 की पहली तिमाही में एक तिमाही पहले के 76.8 फीसदी से घटकर 74 फीसदी रह गई।’

First Published - October 24, 2024 | 9:19 PM IST

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