facebookmetapixel
Upcoming IPOs: यह हफ्ता होगा एक्शन-पैक्ड, 3 मेनबोर्ड के साथ कई SME कंपनियां निवेशकों को देंगी मौकेरुपये पर हमारी नजर है, निर्यातकों की सहायता लिए काम जारी: सीतारमणमहंगाई के नरम पड़ने से FY26 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ में कमी संभव: CEA अनंत नागेश्वरनOYO की पैरेंट कंपनी का नया नाम ‘प्रिज्म’, ग्लोबल विस्तार की तैयारीMarket Outlook: महंगाई डेटा और ग्लोबल ट्रेंड्स तय करेंगे इस हफ्ते शेयर बाजार की चालFPI ने सितंबर के पहले हफ्ते में निकाले ₹12,257 करोड़, डॉलर और टैरिफ का असरMCap: रिलायंस और बाजाज फाइनेंस के शेयर चमके, 7 बड़ी कंपनियों की मार्केट वैल्यू में ₹1 लाख करोड़ का इजाफालाल सागर केबल कटने से दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड हुई स्लो, माइक्रोसॉफ्ट समेत कई कंपनियों पर असरIPO Alert: PhysicsWallah जल्द लाएगा ₹3,820 करोड़ का आईपीओ, SEBI के पास दाखिल हुआ DRHPShare Market: जीएसटी राहत और चीन से गर्मजोशी ने बढ़ाई निवेशकों की उम्मीदें

कच्चे तेल आयात में फायदा जलवायु के मोर्चे पर धक्का

ट्रंप ने ऐलान किया, 'हम कर्ज चुकाने पर ध्यान देंगे और करों का भार कम करेंगे। हम चीजों को इस तरह दुरुस्त करेंगे कि कोई अन्य नहीं कर सकता।

Last Updated- November 07, 2024 | 11:07 PM IST
Crude Oil

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने विजयी भाषण में कहा था कि अमेरिका के पास दुनिया के किसी भी देश से अधिक तरल सोना (पेट्रोलियम) मौजूद है, जबकि कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने संबंधी उनके बयान का उद्देश्य ईंधन कीमतों पर अंकुश बनाए रखना है।

ट्रंप ने बुधवार को कहा था कि देश के कच्चे तेल के विशाल भंडार का इस्तेमाल ऋण चुकाने में करेंगे। ट्रंप ने ऐलान किया, ‘हम कर्ज चुकाने पर ध्यान देंगे और करों का भार कम करेंगे। हम चीजों को इस तरह दुरुस्त करेंगे कि कोई अन्य नहीं कर सकता। जो संपदा हमारे पास है, वह चीन के पास नहीं है।’

यह कड़े तेवर वाला बयान इस बात का संकेत है कि अमेरिका अब ऊर्जा परिवर्तन नीतियों में बदलाव कर सकता है, जिसने जो बाइडन के कार्यकाल में हरित मोड़ लिया था। जलवायु परिवर्तन कार्यवाही के विरुद्ध स्पष्ट रुख अपनाने वाले ट्रंप ने पूर्व में भी जलवायु परिवर्तन को फर्जी करार दिया था।

ट्रंप के नेतृत्व में रिपब्लिकन पार्टी ने जीवाश्म ईंधन के प्रति थोड़ा नरम रवैया रखा है। अपने चुनावी अभियान के दौरान भी ट्रंप ने कोयला क्षेत्र में नौकरियां वापस लाने का वादा किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि गरीब देशों को वित्तीय मदद समेत अमेरिका की जलवायु प्रतिबद्धताओं पर ग्रहण लग सकता है और इसी तरह का रुझान अन्य विकसित देशों में भी देखने को मिल सकता है।

द फासिल फ्यूल नॉन प्रॉलिफरेशन ट्रीटी इनिशिएटिव के ग्लोबल एंगेजमेंट डायरेक्टर हरजीत सिंह कहते हैं, ‘यदि ट्रंप अपने रुख पर कायम रहते हैं तो इसका उन देशों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा जो जलवायु परिवर्तन के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार भी नहीं है।’

फौरी तौर पर इसका प्रभाव बाकू में होने वाले कॉप 29 पर देखने को मिल सकता है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस कॉप में वैश्विक नेतृत्वकर्ता देश शामिल नहीं होंगे। अगर यह आशंका सच साबित हुई तो फिर जलवायु परिवर्तन से निपटने को विकसित देशों से फंड जुटाने के प्रयासों को धक्का लग सकता है। कॉप29 अगले सप्ताह बाकू में आयोजित होगी।

First Published - November 7, 2024 | 11:03 PM IST

संबंधित पोस्ट